जांच के लिए भेजे गए 456 में 320 की रिपोर्ट आई निगेटिव, 136 सैंपल की रिपोर्ट आनी बाकी; तीसरी लहर की आशंका के चलते सिम्स करा रहा है टेस्ट
बिलासपुर में डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर राहत भरी खबर सामने आई है। यहां सिम्स अस्पताल की तरफ से डेल्टा प्लस वैरिएंट का पता लगाने भुवनेश्वर भेजे गए 456 सैंपल्स में से 320 की रिपोर्ट निगेटिव आई है। 136 की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है। सिम्स CPRO आरती पांडे के अनुसार बची हुई रिपोर्ट इसी हफ्ते आ सकती है। कोरोना की तीसरी लहर और दूसरे राज्यों में सामने आ रहे डेल्टा वैरिएंट के मरीजों के चलते बिलासपुर के मरीजों की भी जांच करवाई जा रही है।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने पूरे देश में विकराल रूप लिया था। बिलासपुर जिले में भी हालात कुछ अलग नहीं थे। सभी अस्पतालों के बिस्तर फुल हो गए थे। भर्ती होने के लिए मरीजों को जगह तक नहीं मिल रही थी। साथ ही इलाज के दौरान हजारों लोगों ने दम तोड़ दिया था। इसी वजह से और तीसरी लहर की आशंका के चलते सिम्स प्रबंधन डेल्टा प्लस वैरिएंट का पता लगाने पॉजिटिव मरीजों के सैंपल भुवनेश्वर के वाइरोलॉजिकल लैब भेज रहा है।
स्वास्थ्य विभाग ने दिए थे आदेश
पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी कर सिम्स को RTPCR टेस्ट में पॉजिटिव आए 5 प्रतिशत लोगों के सैंपल भुवनेश्वर स्थित लैब भेजने के लिए भी कहा था। जिसके बाद से 456 सैंपल अब तक भेजे जा चुके हैं। इसमें से 320 सैंपलों की रिपोर्ट आ गई है। राहत की बात यह है कि किसी भी सैंपल में डेल्टा वैरिएंट नहीं मिला है। हालांकि भुवनेश्वर लैब से अभी भी 136 सैंपलों की जांच रिपोर्ट आना बाकी है।
2.5 लाख से अधिक लोगों की RTPCR जांच
सिम्स में अब तक 2 लाख 52 हजार से अधिक लोगों की RTPCR जांच की जा चुकी है। इनमें करीब 20 हजार लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। स्वास्थ्य विभाग ने पॉजिटिव आए लोगों में 5 प्रतिशत लोगों के टेस्ट कराने के लिए कहा था। लेकिन सिम्स ने अब तक 456 सैंपल ही भुवनेश्वर भेजे हैं। सिम्स ने ये सभी सैंपल पिछले महीने 8 और 22 जुलाई को कुरियर के माध्यम से भेजे थे।
चिंता क्यों बढ़ रही है?
दरअसल, चिंता बढ़ने का कारण है दूसरे राज्यों में कोरोना के डेल्ट प्लस वैरिएंट का बढ़ता खतरा। पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वैरिएंट के 65 मामले अब तक सामने आ चुके हैं। वहीं महाराष्ट्र में इसी खतरनाक वैरिएंट के चलते 3 मरीजों की मौत हो चुकी है। परेशान करने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र की सीमा छत्तीसगढ़ के सीमा से लगी हुई है। इस प्रकार नागपुर, मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई जिलों से लोग छत्तीसगढ़ भी आते-जाते रहते हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ में भी लोगों को सर्तकता बरतने की विशेष जरूरत है। एक्सपर्ट बताते हैं कि ये वैरिएंट दूसरे वैरिएंट की तुलना में सबसे तेजी से फैलता है। इसके अलावा फेफड़ों को भी तेजी से नुकसान पहुंचाता है।