नक्सलियों को वॉकी-टाकी सप्लाई करने वाला राजनांदगांव निवासी हिरासत में
राजनांदगांव/रायपुर- कांकेर पुलिस ने राजधानी रायपुर के ललिता चौक स्थित वीआईटी कम्प्यूटर संचालक हितेश अग्रवाल को बीती शाम राजनांदगांव से हिरासत में ले लिया है। कांकेर में पिछले दिनों नक्सलियों के शहरी नेटवर्क मामले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है । इसी मामले में इनपुट के आधार पर यहां वीआईटी कंप्यूटर में बीती शाम छापा मारा गया।जानकारी के मुताबिक दुकानदार पर नक्सलियों को वॉकी-टॉकी, कम्प्यूटर समेत अनेक इलेक्ट्रॉनिक सामान बिना बिल के नक्सलियों को सप्लाई करने का आरोप है। कांकेर पुलिस दुकानदार अग्रवाल को राजनांदगांव से उसके निवास स्थान से हिरासत में लेकर रायपुर पहुंची। रायपुर के ललिता चौक स्थित राठौर कॉम्प्लेक्स स्थित दुकान में फिर दबिश देकर जांच की गई । इसके बाद कारोबारी को अपने साथ लेकर कांकेर रवाना हो गई।
राजनांदगांव शहर से पुलिस सिलसिलेवार रसूखदार व्यापारियों को नक्सलियों की सहायता करने के मामले मे गिरफ्तार कर रही है। नक्सल कनेक्शन के शक पर कल कांकेर पुलिस ने शहर के कामठी लाईन के एक व्यापारी को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई। बताया जाता है कि इलेक्ट्रानिक कारोबार से जुड़े हितेश अग्रवाल को कल कांकेर पुलिस ने पूछताछ करने के लिए हिरासत में लिया है। नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को ध्वस्त करने के अभियान में पुलिस ने राजनांदगांव से अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार किया है।
कांकेर जिले के अंतागढ़ और नक्सल क्षेत्रों में सड़क निर्माण कार्य कर रही लैंडमार्क कंपनी के मालिक से लेकर कर्मचारियों को पुलिस ने आरोपी बनाया है। पूर्व में पुलिस के हत्थे चढ़े मददगारों की निशानदेही पर हितेश अग्रवाल तक पुलिस पहुंची है। बताया जाता है कि नक्सलियों को बड़े पैमाने पर वॉकी-टॉकी सप्लाई किए जाने की पुख्ता प्रमाण के बाद ही पुलिस ने उक्त कारोबारी को हिरासत में लिया है। इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा करते कांकेर एएसपी कीर्तन राठौर ने बताया कि कारोबारी अग्रवाल से फिलहाल पूछताछ की जा रही है। इधर राजनांदगांव शहर से सपड़ाए आरोपियों से यह साफ हो गया है कि नक्सलियों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए शहरी कारोबारियों को अपना सशक्त जरिया बनाया।
बताया जाता है कि शहरी कारोबारी कमाई के फेर में नक्सलियों की जरूरतों का बखूबी ख्याल रख रहे थे। कांकेर पुलिस को लैडमार्क कंपनी के मालिक वरूण जैन की सरगर्मी से तलाश है। बताया जाता है कि जैन कई हार्डकोर नक्सलियों के संपर्क में भी था। कारोबार करने के लिए जैन ने कई तरह से नक्सलियों की मदद की है। चर्चा है कि नक्सलियों के इशारें पर ही जैन को बीहड़ इलाको में धड़ल्ले से बिना स्पर्धा के निर्माण कार्य करने की कथित छूट मिली थी।