पुलिसिंग पर मुख्यमंत्री की चिंता करना मगरमच्छी आंसू- सांसद पांडे
· बगुला भगत बने बैठे है मुख्यमंत्री
· गृहमंत्री का कोई अस्तित्व और औचित्य नहीं
· वरदहस्त प्राप्त तस्कर धमकाते है पुलिस को
सांसद संतोष पांडे ने मुख्यमंत्री द्वारा छत्तीसगढ़ की बिगड़ती कानून व्यवस्था व पुलिसिंग पर की गई चिंता व नाराजगी को बगुला भगत करार दिया है. तीन वर्ष होने के पश्चात उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था लचर हैं. जब पूरे प्रदेश में खुलेआम शराब, जुआ सट्टा, तस्करी में ही उनकी पार्टी पदाधिकारियों के बीच प्रतियोगिता हो रही है तो ऐसे में उनका क्रंदन सिर्फ़ मगरमच्छी आंसू से ज्यादा कुछ नहीं है. बेचारे गृहमंत्री को तो नशा-माफिया कुछ समझता ही नहीं है वे अपने मंत्री पद और सुख-सुविधा लेकर ही संतुष्ट है और संतोषी सदा-सुखी कहावत को चरितार्थ कर रहे है. प्रदेश की बात तो दूर स्थानीय स्तर की बात करें तो धार्मिक नगरी डोंगरगढ़, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ग्राम घुमका, सीमावर्ती ग्राम बागनदी में दारू और चखना सेंटर की बाढ़ आई है. बागनदी की महिलाएं रो-रोकर पुलिस की अकर्मण्यता के पीछे स्थानीय कांग्रेस नेता को कोस रही है. जहां माध्यमिक शाला के बच्चे मधपान के शिकार हैं. चाकूबाजी, नकबजनी,चैन स्नेचिंग नाबालिगो से बलात्कार का मूल कारण नशा है. सरकार अब देशी ठेकों को शराब बेचने का टारगेट देने लगी है. ठीकरा फोड़ने के पूर्व मुख्यमंत्री को पुलिस पर कसावट के पूर्व पिछले दरवाजे से प्रवेश कर राजनीति चमकाने वालों पर कसावट की आवश्यकता है. कमोबेश यही स्थिति भिलाई और रायपुर में है जहां जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार पुलिस को अपने काले कारनामों के रक्षक से ज्यादा कुछ नहीं समझते हैं. वरना तटपूंजिये रेत तस्कर की क्या मजाल होती जो चिचोला पुलिस चौकी के अंदर पहुंचकर हवलदार के साथ हाथापाई करते हैं, खुलेआम आदिवासी चिकित्सक को धमकाकर भी राजनीति चमका सकते हैं. स्वयं थानेदार को ही पता नहीं कि वह कितने दिन, कितने घंटे और कितने मिनट थाने में पदस्थ रहेंगे. जब तक वह अपराधियों को चिन्हित कर पाते उससे पहले अपराधी ही उनका स्थानांतरण करा देते हैं. पुलिस के हाथ पैर ना बंधे होते तो कवर्धा की घटना किसी भी कीमत पर नहीं हो पाती. रेंज के पुलिस महानिरीक्षक चाटुकारिता में इतने लीन थे कि प्रदेश सरकार के प्रवक्ता बन बैठे और पासा पलटता देखकर मुख्यमंत्री को उनका स्थानांतरण और टिका टिपण्णी से बचने के लिए समय लेकर धीरे से पुलिस महानिदेशक को हटाना पड़ा. सांसद ने अंत में प्रदेश सरकार को सुझाव दिया कि पुलिसिंग पर कसावट के पूर्व वे बिगड़ैल, बाहुबली, अमर्यादित भाषा का उपयोग करने वाले, पुलिसिंग को अकर्मण्य करने वाले वरदहस्त प्राप्त छुट-भैया नेताओं पर लगाम लगाएं घड़ियाली आंसू और बागुलो की जमात की बिदाई में वैसे भी ज्यादा दिन नहीं बचे है.