राज्य बनने के बाद भी बिलासपुर संभाग की उपेक्षा
बिलासपुर। हवाई सुविधा जनसंघर्ष समिति के अखण्ड धरना 250 वें दिन भी जारी रहा। वहीं सीपत के नवाडीह चौक में एक नुक़्कड सभा भी आयोजित की गई। इसमें राज्य बनने के बाद बिलासपुर संभाग को विकास का पूरा हक नहीं मिल पाने पर आक्रोश व्यक्त किया गया।
सीपत के नवाडीह चौक पर संघर्ष समिति के कार्यकर्ता तीन फरवरी की शाम नुक्कड सभा का आयोजन किया गया। सभा में सीपत के पूर्व विधायक रामेश्वर खरे ने कहा कि मध्यप्रदेश के समय तब की राज्य सरकार बिलासपुर और राज्य संभाग को समान महत्व देती थी, इसलिए ही रेलवे जोन और हाई कोर्ट बिलासपुर को मिले, परन्तु राज्य निर्माण के बाद स्थिति बदल गई है।
सीपत के सरपंच राजेंद्र धीवर ने कहा कि सीपत प्लांट लगने के बाद क्षेत्र में रेल लाइन तो आई, लेकिन उस पर केवल एनटीपीसी की मालगाड़ी ही चलती है। जबकि इस लाइन पर कोरबा से बिलासपुर जयरामनगर होकर लोकल पैसेंजर टे्रन चलाना चाहिए, जिससे सीपत-बलौदा क्षेत्र को सुविधा मिले। साथ ही सीपत से होकर ही कोरबा- डोंगरगढ़ लाइन बनाना चाहिए। सीपत के ही मनोज खरे ने बिलासपुर एयरपोर्ट से दिल्ली और हैदराबाद उड़ानों की मांग करते हुए कहा कि एनटीपीसी से ही रोज कम से कम 10 लोग इन महानगरों तक जाते हैं। सीपत के वरिष्ट नेता दुबे सिंह कश्यप ने बिलासपुर एयरपोर्ट को थ्री सी लायसेंस मिलने पर खुशी जताते हुए कहा कि अब महानगरों तक उड़ान और बड़े रनवे वाला फोर सी एयरपोर्ट हासिल करना है। वहीं 251वें दिन के धरने में अशोक भंडारी, बद्री यादव, मनोज श्रीवास, संजय पिल्ले आदि मौजूद थे।
राज्यपाल ने समिति को पत्र भेजकर कार्रवाई से कराया अवगत
समिति के सुदीप श्रीवास्तव के नाम पत्र भेजकर राज्यपाल के अवर सचिव ने समिति को जानकारी दी कि समिति की ओर से राज्यपाल को ज्ञापन प्रस्तुत कर छत्तीसगढ़ को आदिवासी बहुल राज्य होने के कारण वीजीएफ सब्सिडी में 600 किमी की बाध्यता समाप्त करते हुए बिलासपुर से दिल्ली-मुम्बई-कोलकाता-हैदराबाद-पुणे-बैगलोर जैसे महानगरों तक सीधी हवाई सुविधा दिए जाने का, जो मांग प्रस्तुत किया गया था उस संबंध में राज्यपाल की ओर से नागर विमानन मंत्रालय भारत सरकार को पत्र भेजा है। भेजे गए पत्र में समिति की मांग से सहमति जताते हुये इसे जल्द पूरा करने का आग्रह किया गया है।