पिछले साल केंद्र द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हजारों किसान बीते एक महीने से भी ऊपर वक्त से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। यह गतिरोध खत्म करने के लिए केंद्र सरकार किसान संगठनों के साथ कई दौर की वार्ता कर चुकी हैं लेकिन ये सभी बेनतीजा रही हैं।
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी तक सुनवाई को स्थगित कर दिया है। कोर्ट ने एक वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम किसानों की स्थिति को समझ रहे हैं। दरअसल नए कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को लेकर कुछ वकीलों ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर अब सुनवाई 11 जनवरी यानि आने वाले सोमवार को की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें हालात में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम बात कर रहे हैं। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष किसी मुद्दे पर सहमत हो जाएंगे। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम इस बात से बाकिफ हैं और चाहते हैं कि बातचीत और आगे बढ़ें।
इसके अलावा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि इस मामले पर कोर्ट में सुनवाई होने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि अभी दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही है। इस पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि हम सोमवार को इस मामले को देखेंगे और अगर बातचीत सकारात्मक रही तो हम सुनवाई को टाल देंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि सरकार और किसानों के बीच ‘‘सौहार्दपूर्ण वातावरण’’ में बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि इन याचिकाओं पर आठ जनवरी को बातचीत नहीं की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि हम स्थिति को समझते हैं और बातचीत को प्रोत्साहित करते हैं। हम मामले की सुनवाई को सोमवार 11 जनवरी तक स्थगित कर सकते हैं, अगर आप चल रही बातचीत के संबंध में लिखित में दें।
बता दें कि कृषि कानून के मुद्दे पर सरकार और किसान दोनों ही पीछे हटने का तैयार नहीं हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं ले लेती और न्यूनत समर्थन मूल्य व्यवस्था बनी रहना सुनिश्चित नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।