नवरात्रि 2020: मां कूष्मांडा की पूजा आज, देवी की उपासना से दूर होंगे कष्ट
संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है. ज्योतिष में इनका संबंध बुध नामक ग्रह से है.
नवरात्र 2020 के चौथे दिन मां कूष्मांडा का पूजन होता है. अपनी हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्मांडा हुआ. यह अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं. मां की आठ भुजाएं हैं. इसलिए ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं. संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है. ज्योतिष में इनका संबंध बुध नामक ग्रह से है.
क्या है देवी कूष्मांडा की पूजा विधि?
हरे वस्त्र धारण करके माँ कुष्मांडा का पूजन करें. पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें. इसके बाद उनके मुख्य मंत्र ‘ऊँ कूष्मांडा देव्यै नम:Ó का 108 बार जाप करें. चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें.
अनाहत चक्र कमजोर होने से क्या समस्या होती है?
- हृदय और छाती से जुड़ी समस्या
- घबराहट और बेचैनी की समस्या
- डर लगने की समस्या
- नकारात्मक सोच और बुरे विचारों की समस्या
मन और अनाहत चक्र को मजबूत करने के लिए क्या करें?
हरे वस्त्र धारण करें. संभव हो तो हरे आसन पर बैठें. इसके बाद अपने गुरु को प्रणाम करें. इसके बाद अनाहत चक्र पर बिंदु का ध्यान करें. ध्यान के बाद अपने गुरु से इस चक्र को मजबूत करने की प्रार्थना करें.