मध्य प्रदेश

शहडोल संभाग के कई राजनीतिक परिवार कर रहे पैतृक समाज सेवा

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शहडोल

पिता की पुत्र एवं पुत्रवधू ने संभाली राजनीतिक विरासत शहडोल : संभाग की राजनीतिक धरती ने कई दिग्गज राजनेता दिए हैं जो प्रदेश की राजनीति में अपना दमखम दिखाया है और धूमकेतु की तरह चमके हैं शहडोल संभाग के 3 जिलों की 8 विधानसभा सीटों में राजनेताओं के पुत्रों ने अपने पिता की विरासत को बखूबी संभाला ही नहीं बल्कि अच्छे मतों से जीत हासिल कर खुद को सियासी खिलाड़ी भी साबित किया कई राजनीतिक घराने ऐसा कर पाने में असफल भी रहे और अब शहडोल संभाग में गिने-चुने राजनीतिक परिवार ही बचे हैं जिनके वारिस राजनीति में सफल है या सफलता की दहलीज पर खड़े हैं कुछ परिवारों की तो तीसरी पीढ़ी तक जनता का भरोसा जीत कर प्रतिनिधित्व कर रही है पिता के बाद पुत्र तो कहीं पर पुत्र ने भी नगर परिषद के प्रथम नागरिक बने और कई परिवार में पुत्र ने विधानसभा तक का सफर तय किया।

पिता मंत्री तो पुत्र विधायक
उमरिया जिले के कद्दावर आदिवासी नेता ज्ञान सिंह उमरिया जिले के स्थापित नेता माने जाते हैं और वह दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री और तीन बार सांसद रहे। ज्ञान सिंह की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे शिव नारायण सिंह बखूबी संभाल रहे हैं। शिवनारायण 2016 विधानसभा उपचुनाव एवं 2018 में विधानसभा चुनाव में लगातार दो बार विधायक रहे। इसके पूर्व में दो बार जिला पंचायत के सदस्य भी रहे हालांकि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में उन्हें असफलता हासिल हुई थी। उनके पिता ज्ञान सिंह स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा की सरकार में मंत्री भी थे। आज प्रदेश में आदिवासी नेता के रूप में शिवनारायण सिंह की पहचान हो चुकी है।

आगे बढ़ा रहे राजनैतिक विरासत

शहडोल संभाग के उमरिया जिले में स्वर्गीय रणविजय प्रताप सिंह मंत्री रहे और उनके दोनों पुत्र स्वर्गीय नरेंद्र प्रताप सिंह एवं अजय सिंह विधायक बने। स्वर्गीय नरेंद्र प्रताप सिंह विधायक के अलावा नगर पालिका के अध्यक्ष भी रहे और उनकी पत्नी रुकमणी सिंह भी उमरिया नगर पालिका के अध्यक्ष रही। रणविजय सिंह के छोटे सुपुत्र अजय सिंह भी विधायक रहे एवं जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे और अजय सिंह की पत्नी चंद्रप्रभा सिंह भी जिला पंचायत उमरिया के अध्यक्ष रही। वर्तमान में स्वर्गीय नरेंद्र प्रताप सिंह की पुत्रवधू श्रीमती रश्मि सिंह नगर पालिका परिषद उमरिया की अध्यक्ष हैं।

 माता-पिता के बाद स्वयं बनी सांसद
शहडोल संसदीय क्षेत्र से स्वर्गीय दलबीर सिंह जहां तीन बार सांसद निर्वाचित हुए वही उनकी पत्नी स्वर्गीय राजेश नंदनी सिंह एक बार विधायक और एक बार सांसद निर्वाचित हुई। इस सीट पर अब उनकी पुत्री श्रीमती हिमाद्री सिंह प्रतिनिधित्व कर रही है। हालांकि वर्तमान सांसद श्रीमती हिमाद्रि के माता-पिता कांग्रेस पार्टी से निर्वाचित हुए थे और वह भाजपा से निर्वाचित हुई हैं श्रीमती हेमाद्री ने पूर्व में कांग्रेस पार्टी से भी संसदीय चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था। सांसद के सफर में उन्हें एक परिपक्व राजनीतिक के रूप में सबके सामने खड़ी है। शहडोल संसदीय क्षेत्र में श्रीमती सिंह के परिवार का खासा दबदबा रहा और उनके पिता स्वर्गीय दलवीर सिंह दो बार केंद्रीय मंत्री रहे।

कैबिनेट मंत्री के पुत्र जनपद उपाध्यक्ष
सक्रिय राजनीति करने वाले नेताओं के परिजनों की यदि बात की जाए तो मध्य प्रदेश में छठवीं बार विधायक बने और तीन बार कैबिनेट मंत्री रहे बिसाहूलाल सिंह के पुत्र तेजभान सिंह भी राजनीति में सक्रिय हैं। वर्तमान में वे अनूपपुर जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष हैं। बिसाहूलाल सिंह ने कांग्रेस पार्टी से अनूपपुर विधानसभा का 5 बार प्रतिनिधित्व किया है और भारतीय जनता पार्टी से वर्तमान में वे अनूपपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और कैबिनेट मंत्री भी हैं इसके पूर्व कांग्रेस सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री रहे।

हाशिए पर पूर्व सांसद का परिवार

जिले की राजनीति को एक अलग दिशा देने वाले स्वर्गीय दलपत सिंह परस्ते के परिजन अपनी पार्टी में ही हाशिए पर हैं। दलपत सिंह ने 5 बार शहडोल संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और उनकी पुत्री जिला पंचायत अनूपपुर की अध्यक्ष रही लेकिन पूर्व के कार्यकाल में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा। मौजूदा समय में उनके परिवार से सक्रियता भले ही कम है लेकिन उनके पुत्र शहडोल नगर पालिका में पार्षद हैं और पूर्व में उनके पुत्र होलकर सिंह की पत्नी पार्षद रह चुकी हैं। भले ही उनकी राजनीति में सक्रिय है पर पार्टी में हाशिए पर है।

पिता चार बार विधायक पुत्र जनपद अध्यक्ष रहे
मध्यप्रदेश विधानसभा में जय सिंह मरावी ही एक ऐसे विधायक हैं जिन्होंने चार बार अलग-अलग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और लगातार विधायक बने मरावी कोतमा जैतपुर एवं जयसिंह नगर से विधायक रहे मरावी को प्रदेश सरकार ने वन राजस्व मंत्री भी बनाया था। उनके पुत्र महेंद्र सिंह मरावी बब्बू जनपद पंचायत कोतमा के अध्यक्ष रहे और उनकी पुत्री श्रीमती मालती सिंह नगर पालिका परिषद बिजुरी की अध्यक्ष रही।

पहले पुत्र अध्यक्ष फिर पिता उपाध्यक्ष
अक्सर देखने को आता है कि पिता की राजनीतिक विरासत को पुत्र आगे बढ़ाता है लेकिन अनूपपुर जिले की जैतहरी नगर परिषद में इससे उलट हुआ यहां पुत्र की राजनीतिक विरासत को बचाए रखने पिता चुनावी मैदान में उतरे थे और नगर परिषद के उपाध्यक्ष का ताज भी मिला था। भाजपा के अनिल गुप्ता पहले जैतहरी नगर परिषद में नगर परिषद के अध्यक्ष बने और कुछ वर्षों बाद उनके पिता स्वर्गीय रामकृपाल गुप्ता नगर परिषद के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए यह सीट उस कार्यकाल में अध्यक्ष पद के लिए पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थी जिस कारण वह उपाध्यक्ष बने। अब गुप्ता की तीसरी पीढ़ी एवं अनिल गुप्ता की राजनीतिक विरासत को संभालने वाले की बात की जाए तो उनके पुत्र उमंग गुप्ता नगर परिषद जैतहरी के अध्यक्ष हैं। पूर्व में अनिल गुप्ता की पत्नी कृषि उपज मंडी की अध्यक्ष रह चुकी हैं।

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