छत्तीसगढ़जांजगीर-चाम्पा जिला

जांजगीर-चांपा : विशेष लेख : यह गांव राहुल, राहुल… पुकार रहा है….

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

जांजगीर-चांपा 23 जून 2022

यह गाँव पिहरीद है। मानसूनी हवाओं से मौसम और माहौल बदला-बदला सा है। कुछ रोज पहले की ही बात है। गांव का मासूम राहुल जिन्हें लोग सायकल पर शरारतें करते हुए अपनी गलियों और चौबारों में देखा करते थे, अभी वह कहीं नज़र नहीं आ रहा। गाँव का वह तालाब जहां राहुल की तैराकी बोलती थी, घर आँगन के झूले जहाँ उछलकूद, मस्ती से राहुल जुबां से कुछ न बोलकर भी बहुत कुछ बोल जाता था। वह भी अब सूना-सूना सा है। रेस्क्यु के दौरान मोटर-गाड़ियों की आवाजाही से लेकर, मिट्टी खोदते, चट्टानें काटती मशीनों की शोर और आसपास की वह भारी भीड़ भले ही अब ग़ुम हैं, लेकिन गांववासियों के कानों में राहुल को बोरवेल से बाहर लाने की लग रही तब की आवाज आज भी गूँज रही है। राहुल के अचानक से बोरवेल में गिर जाने के बाद शायद ही ऐसा कोई हो, जो चिंतित न हुआ हो ? राहुल के सकुशल वापसी के लिए मिन्नतें न की हो ? भले ही राहुल सकुशल बाहर निकाल कर अस्पताल पहुँचा दिया गया है, लेकिन गाँव वाले है कि अपने गाँव के राहुल को आँखों से देखने, उसके इंतजार में पलक-फावड़े बिछाये हुए हैं। दिल को दहला देने वाली इस घटना में राहुल के जीवित बाहर आ जाने से अब वह किसी एक घर का बेटा नहीं रह गया है। वह गांव का बेटा बन गया है और भाई-चारे और एकजुटता का माहौल में रमा यह गांव जैसे राहुल, राहुल बेटा…पुकार रहा है।
    जांजगीर-चाम्पा जिले के मालखरौदा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पिहरीद अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है। यहाँ 10 जून को दोपहर में खेलते हुए अचानक से 11 वर्षीय राहुल साहू के बोरवेल में नीचे गिरकर 60-62 फीट की गहराइयों में फस जाने के बाद देश का सबसे बड़ा रेस्क्यु अभियान चलाया गया। 105 घण्टे तक चले इस रेस्क्यु अभियान में राहुल को बाहर निकालने भारी जद्दोजहद करनी पड़ी। मानसिक रूप से कमजोर और बोल नहीं सकने की वजह से राहुल को रस्सी के सहारे ऊपर लाना संभव नहीं हुआ तो 65 फीट नीचे सुरंग बनाने और राहुल तक पहुँचने में जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, एसईसीएल सहित अन्य टीम को बचाव के लिए भारी मशक्कत करना पड़ा। आखिरकार राहुल को सुरंग के रास्ते बाहर निकाल लिया गया। उन्हें मुख्यमंत्री के निर्देश पर बेहतर उपचार के लिए अस्पताल भी ले जाया गया। अस्पताल में राहुल बहुत तेजी से ठीक हो रहा है। डाक्टरों की टीम उन्हें सेहतमंद बनाने पूरी कोशिश कर रही है। राहुल अब खाना खाने लगा है। मनोरंजन करने लगा है और अपने पैरों पर चलने भी लगा है। सम्भव है कि कुछ दिनों के भीतर राहुल अपना गाँव लौट आए। एक ओर राहुल अपने गांव से दूर अस्पताल में इलाज करा रहा है, वहीं उनके गांव में राहुल की झलक पाने गांववासियों को भी उनका बेसब्री से इंतजार है। गांव के सरपंच किरण कुमार डहरिया की मानें तो राहुल अब किसी घर या परिवार का ही बेटा नहीं रह गया है। वह तो अब गांव का बेटा बन गया है। वह जब बोरवेल में गिरा था और गांव वालों को इसकी खबर लगी तो राहुल के साथ गांववासियों की भावनाएं लगातार जुड़ती चली गई। गांव के सभी लोगों ने दुआएं की। कई घरों में गम का माहौल था। आखिरकार जब राहुल को बाहर निकाला गया तो उन्हें जीवित और सकुशल पाकर गांव में बहुत ही खुशी का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने फटाखें फोड़े। मिठाइयां बांटी। अब हम सभी राहुल के जल्दी ही ठीक होकर गांव आने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उनका जमकर स्वागत कर सकें।
गाँव के ही वीरेन्द्र शर्मा है। राहुल के घर के सामने रहते हैं। राहुल बचपन से ही इनके गोद में खेलते हुए बड़ा हुआ है। वह बताते हैं कि राहुल ढोलक बजाते हुए तो कभी अपनी साइकिल लेकर उनके पास आया करता था। वह इतना घुल-मिल गया है कि उसे अब पास देखे बिना मन नहीं मान रहा है। राहुल अब उनका ही नहीं गांव का लाडला है। घर पर राहुल की दादी श्याम बाई को भी राहुल का इंतजार है। वह कहती है कि राहुल जब घर पर था तब दिन भर मस्ती, शरारतें करता था। वह कभी साइकिल से पूरे गांव में घूम आता था, तो कभी घर पर ढ़ोलक बजा-बजाकर नाचता था। बोरवेल में गिरने के बाद उनकी तो नींद उड़ गई थी। यह तो भला हो… मुख्यमंत्री, कलेक्टर और उन्हें बाहर निकालने में मदद करने वालों का, कि राहुल बाहर आ गया है। अब राहुल आ जाएं तो वह उसे गले से लगा लेगी। राहुल के पिता रामकुमार साहू का कहना है कि इस घटना से महज तीन दिन पहले ही राहुल अपनी बुआ के घर से लौटा था। हादसे के दिन वह घर पर नहीं था। पत्नी ने जब उन्हें फोन पर जानकारी दी तो उसका रूह कांप गया। घर आकर जब बोरवेल में झांकते थे, तब राहुल की हल्की सी आवाज उनका कलेजा फाड़ने जैसा था। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे। राहुल के पिता का कहना है कि घर में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए ही बोर कराया गया था। दो बोर असफल होने के बाद तीसरा बोर कराया गया था। राहुल जिसमें गिरा, उसे पाटने की तैयारी चल रही थी। उसे लोहे के चादर में ढक कर रखा गया था। शादी का सीजन होने और टेंट व डीजे का धंधा करने और पत्नी सिलाई के सिलाई का काम करने की वजह से बहुत व्यस्तता चल रही थी। फिर भी वे लोग राहुल को अपने आसपास निगरानी में ही रखते थे। उन्होंने बताया कि इस घटना ने हम सबको स्तब्ध कर दिया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और जिले के कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला और विधायकों सहित बचाव में लगे सभी सदस्यों को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि उनकी कोशिशों और सबकी दुआओं से राहुल जीवित है और जल्दी ही ठीक होकर घर लौटेगा।

RO.No.- 12697 54

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker