राजनांदगांव : पोषण टुकनी से निकलने लगा सेहत का खजाना
० बच्चों, गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं में सुपोषण के लिए जिले में प्रेरक प्रयास
० शिशु के जीवन के प्रथम 1,000 दिन होते हैं बहुत महत्वपूर्ण : रेणु प्रकाश
राजनांदगांव। बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा शिशुवती माताओं में सुपोषण के लिए जिले में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस दिशा में जन जागरुकता के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाने के साथ ही अब गर्भवती महिलाओं की पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए हर गर्भवती के घर पोषण टुकनी लगवाई जा रही है। इस पोषण टुकनी में प्रति महीने 500-500 ग्राम चना, मूंग, मूंगफली, गुड़ और फूटे चने रखवाए जा रहे हैं। यही चना-मूंग अंकुरित कर, मूंगफली भिगाकर गुड़ के साथ खाने का परामर्श दिया जा रहा है।
सुपोषण हेतु जिले के विशेषकर मानपुर, मोहला और छुईखदान विकासखंड में बच्चों में कुपोषण एवं एनीमिया के स्तर में उल्लेखनीय कमी लाने के लिए डीएमएफ से अतिरिक्त पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। वहीं जनसमुदाय तक स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता संबंधित व्यापक प्रचार एवं प्रभावी व्यवहार परिवर्तन हेतु हितग्राहियों के बीच आवश्यक जानकारी प्रचारित की जा रही है। इस दौरान लाभार्थियों को यह भी बताने का प्रयास किया जा रहा है कि शिशु के जीवन के प्रथम 1,000 दिन (गर्भ के 9 माह व जन्म के बाद 24 माह) बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन 1,000 दिनों में शिशु कभी कुपोषित ही न हो यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, गर्भवती महिलाओं की पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए हर गर्भवती के घर पोषण टुकनी बनवा रही हैं। इसमें प्रति महीने 500-500 ग्राम चना, मूंग, मूंगफली, गुड़ और फूटा चना रखवा रही हैं। साथ ही चना-मूंग अंकुरित कर, मूंगफली भिगाकर गुड़ के साथ खाने का परामर्श दे रही हैं। उन्होंने बताया, 1,000 दिनों के चक्र में शिशु के पूरे जीवन की सभी क्षमताओं के विकास की नींव पड़ती है। कुपोषण का प्रभाव अपरिवर्तनीय होता है अर्थात कुपोषण से शिशु के जीवन को जो हानि होती है, उसकी भरपाई पूरे जीवनकाल में कभी नहीं हो पाती। इन 1,000 दिनों में बच्चा यदि 100 दिन भी कुपोषित रहता है तो अपनी क्षमताओं (शारीरिक और मानसिक) में अन्य स्वस्थ बच्चों की तुलना में पूरे जीवनभर के लिए वह 10 प्रतिशत पिछड़ जाता है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए सुपोषण के लाभ बताने के लिए जिले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं से गृहभेंट की जा रही है। साथ ही वह स्वास्थ्य में सुधार के लिए आवश्यक परामर्श दे रही हैं।
बस एक मुट्ठी खाइए और फर्क देखिए…
रेणु प्रकाश ने बताया, चना, मूंग, मूंगफली, गुड़ या फूटा चना में से कोई भी एक चीज का प्रतिदिन सेवन करना गर्भवती महिलाओं तथा शिशुवती माताओं में सुपोषण के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी गर्भवती महिलाओं को हर रोज कोई एक चीज एक मुठ्ठी खाने की सलाह दे रही हैं जिसके फलस्वरूप गर्भवती महिलाओं के पोषण में प्रतिमाह 427 ग्राम प्रोटीन मात्रा में वृद्धि हो रही है जो कि प्रतिमाह आवश्यक प्रोटीन जरूरतों के 25 प्रतिशत को पूरा करता है। उन्होंने बताया, श्गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन औसतन 60 ग्राम प्रोटीन आवश्यक है। पोषण के लिए प्रोटीन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि शरीर के सभी सेल और मांसपेशियों का निर्माण इन्हीं से होता है।