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जानिए धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की तारीखें और शुभ मुहूर्त

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हिंदू धर्म में दिवाली का त्योहार बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर भगवान श्री राम 14 वर्षों का वनवास काटकर और लंका पर विजय करने के बाद अयोध्या लौटे थे। जिसकी खुशी में सारे अयोध्यावासी इस दिन पूरे नगर को अपने राजा प्रभु राम के स्वागत में दीप जलाकर उत्सव मनाया था। इसी कारण से तब से ये परंपरा चली आ रही है। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व भी होता है। इस दिन शाम और रात के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। धनतेरस दिवाली का पहला दिन माना जाता है। इसके बाद नरक चतुर्दशी फिर दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिरी में भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है। आइए जानते हैं पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली महापर्व की प्रमुख तिथियां और शुभ मुहूर्त…

हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। धनतेरस जिसे धन त्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती भी कहते हैं पांच दिवसीय दीपावली का पहला दिन होता है। धनतेरस के दिन से दिवाली का त्योहार प्रारंभ हो जाता है। मान्यता है इस तिथि पर आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हो हुए थे। इसी कारण से हर वर्ष धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा निभाई जाती है। कहा जाता है जो भी व्यक्ति धनतेरस के दिन सोने-चांदी, बर्तन, जमीन-जायजाद की शुभ खरीदारी करता है उसमें तेरह गुना की बढ़ोत्तरी होती है। इस बार 02 नवंबर,मंगलवार को धनतेरस का त्योहार हैं।

धनतेरस 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त 
धनतेरस 2021- 02 नवंबर, मंगलवार
धनतेरस मुहूर्त – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात के 08 बजकर 11 मिनट तक    
धनतेरस पर शुभ खरीदारी की अवधि :1 घंटे 52 मिनट तक
प्रदोष काल :17:35 मिनट से 20:11 मिनट तक
वृषभ काल :18:18 मिनट से 20:14: मिनट तक

नरक चतुर्दशी 2021

इस वर्ष नरक चतुर्दशी का त्योहार 04 नवंबर 2021, गुरुवार को मनाया जाता है। यह धनतेरस के बाद मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को कई और नामों से भी मनाया जाता है जैसे- नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी आदि। दिवाली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है। घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है।

तेल मालिश का समय (अभ्यंग) :सुबह 06:06:05 से 06:34:57 तक
अवधि :0 घंटे 28 मिनट

04 नवंबर 2021 को पूरे देश और विदेश में दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। दिवाली को प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष काल होने पर दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन करने का विधान है। दिवाली पर घरों को रोशनी से सजाया जाता है। दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना होती है। मान्यता है दिवाली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर ये देखती हैं किसका घर साफ है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है। माता लक्ष्मी वहीं पर अपनी कृपा बरसाती हैं। दिवाली पर लोग सुख-समृ्द्धि और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं।

दिवाली और लक्ष्मी पूजा तिथि- गुरुवार, 04 नवंबर 2021

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : 18:10:28 से 20:06:18 तक
अवधि : 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल :17:34:09 से 20:10:27 तक
वृषभ काल : 18:10:28 से 20:06:18 तक

दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : 23:38:52 से 24:30:58 तक
महानिशीथ काल : 23:38:52 से 24:30:58 तक
सिंह काल : 24:42:01 से 26:59:43 तक

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातःकाल मुहूर्त्त (शुभ) :06:34:58 से 07:57:21 तक
प्रातःकाल मुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत): 10:42:09 से 14:49:21 तक
सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल): 16:11:45 से 20:49:32 तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ): 24:04:55 से 25:42:37 तक

इस वर्ष गोवर्धन पूजा 05 नवंबर 2021 को है। गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है।  हिदूं पंचांग के अनुसार गोवर्धन का त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी किया जाता है। इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है।  

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त –
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त : 06:35 मिनट से 08:47 मिनट तक
अवधि : 2 घंटे 11 मिनट
गोवर्धन पूजा का सायंकाल मुहूर्त :15: 21 मिनट से 17:33 मिनट तक
अवधि : 2 घंटे 11 मिनट

भाई दूज पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आखिरी दिन का त्योहार होता है। भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है। इस बार यह 06 नवंबर को है।

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