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परमाणु और परंपरागत पनडुब्बी बेड़े के साथ आगे बढ़ेगी नौसेना, 6 न्यूक्लियर सबमरीन बनाने का प्रस्ताव

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भारतीय नौसेना परमाणु शक्ति चालित और डीजल-इलेक्टि्रक ताकत से चलने वाली परंपरागत पनडुब्बियों का इस्तेमाल जारी रखेगी। ऐसा ही रूस और चीन की नौसेनाएं कर रही हैं। भारतीय नौसेना ने 24 नई पनडुब्बियों की आवश्यकता जताई है। इनमें से छह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण जारी है जबकि छह परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार की रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के पास लंबित है।

भारतीय नौसेना के पास फिलहाल रूस की किलो श्रेणी की पनडुब्बियों की फ्लीट, जर्मनी निर्मित एचडीडब्ल्यू श्रेणी की पनडुब्बियों की फ्लीट और स्वदेशी परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बी आइएनएस अरिहंत है। इसके अतिरिक्त भारत पिछले 30 साल से रूस से परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बी पट्टे पर ले रहा है। वैसी ही एक और पनडुब्बी पट्टे पर लेने के लिए रूस से इस समय बात चल रही है। अरिहंत श्रेणी की पांच और परमाणु पनडुब्बियों को बनाने की योजना है।

ये पनडुब्बियां 24 पनडुब्बी बनाने की प्रस्तावित योजना से अलग होंगी। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और अब आस्ट्रेलिया अपने पनडुब्बी बेड़े को परमाणु शक्ति चालित बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन भारतीय नौसेना रूस और चीन की तरह मिले-जुले बेड़े के साथ चलेगी। परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी कई महीने तक पानी के नीचे रहकर काम कर सकती है, जबकि डीजल-इलेक्टि्रक पनडुब्बी को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए पानी की सतह पर आना पड़ता है। इससे उसकी पहचान होने का खतरा होता है।

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