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12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए सीबीएसई, आईसीएसई कई विकल्पों पर कर रहा है विचार

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कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखते हुए CBSE और CISCI 12वीं कक्षा की लंबित बोर्ड परीक्षाओं के संबंध में परीक्षाएं रद्द करना और वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति अपनाना या संक्षिप्त प्रारूप में परीक्षा कराने पर विचार कर रहा है.

नई दिल्ली: कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई और सीआईएससीई 12वीं कक्षा की लंबित बोर्ड परीक्षाओं के संबंध में विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है. इनमें परीक्षाएं रद्द करना और वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति अपनाना या संक्षिप्त प्रारूप में परीक्षा कराना शामिल हैं.

एक सूत्र ने बताया, ‘अधिकतर राज्यों ने अगस्त में प्रमुख विषयों के लिए छोटी अवधि की परीक्षाओं के बारे में सीबीएसई द्वारा प्रस्तावित विकल्प का समर्थन किया है. कोविड-19 स्थिति की अभी भी समीक्षा की जा रही है और परीक्षा रद्द करना और पिछली परीक्षाओं के आधार पर छात्रों को अंक देने समेत कई विकल्पों पर अभी भी विचार किया जा रहा है.’

इस बीच, सीआईसीएसई बोर्ड ने अपने संबद्ध स्कूलों से कक्षा 11 में और इस सत्र के दौरान कक्षा 12 वीं के छात्रों द्वारा प्राप्त औसत अंक जमा करने को कहा है. हालांकि, बोर्ड की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या परीक्षा रद्द होने की संभावना है. वहीं, स्कूलों ने बोर्ड द्वारा निर्धारित सात जून की समय सीमा को पूरा करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है.

हालांकि, शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि ‘अभी तक कुछ भी तय नहीं किया गया है और एक जून तक अंतिम निर्णय की घोषणा की जाएगी. मंत्री पहले ही जोर देकर कह चुके हैं कि छात्रों की सुरक्षा प्राथमिकता है लेकिन ये परीक्षाएं भी महत्वपूर्ण हैं.’

सुप्रीम कोर्ट देश में कोविड-19 के मामले बढ़ने के मद्देनजर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) की 12वीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द करने के निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर 31 मई को सुनवाई करेगा.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने शुक्रवार को एक सुनवाई में याचिकाकर्ता से कहा था, ‘आशावादी रहें. सोमवार (31 मई) तक कुछ समाधान हो सकता है.’

छात्रों और अभिभावकों के एक बड़े वर्ग द्वारा परीक्षा रद्द करने की मांग के बीच, मंत्रालय ने पिछले रविवार को इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी जिसमें राज्य के शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव भी शामिल हुए थे.

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