छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

पोषक तत्वों एवं औषधीय गुणों से भरपूर है मशरूम

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आरसेटी में महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं एवं विभिन्न विकासखंडों से आए लोगों को दिया जा रहा मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण

आत्मनिर्भर, आत्मविश्वास, स्वप्रेरणा एवं अनुशासन का दिया जा रहा प्रशिक्षण

राजनांदगांव। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) में महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं तथा अन्य महिलाओं एवं लोगों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 31 अगस्त से 9 सितम्बर तक बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से आयोजित इस प्रशिक्षण में मशरूम उत्पादन में रूचि रखने वाले जिले के विभिन्न विकासखंडों से आयेे महिला समूह एवं पुरूष प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। आरसेटी के संचालक अभिषेक ठाकुर ने बताया कि महिलाओं को मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण के साथ-साथ उनका आत्मविश्वास बढ़ाने, व्यक्तितव विकास एवं संचार की दक्षता के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहां उन्हें मशरूम उत्पादन के बाद पैकेजिंग, स्टोरेज का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही मशरूम से बनने वाले अन्य उत्पाद आचार, पाऊडर, पापड़ एवं अन्य उत्पाद के संबंध में भी बताया जा रहा है। यहां आवासीय परिसर में उनके रहने एवं भोजन की सुविधा नि:शुल्क की गई है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए थर्मल स्क्रीनिंग भी की जा रही है। एनआरएलएम के डीपीएम उमेश तिवारी ने कहा कि मशरूम पोषक तत्वों एवं औषधीय गुणों से भरपूर है। बाजार में इसकी बहुत मांग है। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन करने पर उद्यानिकी विभाग से मशरूम ड्राय मशीन नि:शुल्क मिलती है।  

आरसेटी के ऋषभ मिश्रा ने बताया कि यहां मशरूम उत्पादन के उद्यम के लिए बैंक से ऋण, लेन-देन, मशरूम उत्पादन के बाद मार्केंटिंग एवं प्रबंधन के संबध में जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि मशरूम विक्रय करने पर इससे बहुत मुनाफा प्राप्त हो सकता है। 300 रूपए में एक किलोग्राम मशरूम स्पान 2000 रूपए तक मशरूम उत्पादन हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार मशरूम कैंसर जैसी घातक बीमारी को नष्ट करने में सहायक है एवं शरीर के टॉक्सिन को भी खत्म करता है। बढ़ते बच्चों के विकास में सहायक है और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सभी प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम फार्म में भ्रमण भी कराया जा रहा है, ताकि वे व्यवहारिक रूम से देखकर सीख सकें।

दुर्ग से आयी ट्रेनर जागृति साहू ने बताया कि गर्वपानी एवं आर्गेनिक विधि से बटन मशरूम, आयस्टर, मिल्की मशरूम एवं पैरा मशरूम का उत्पादन किया जाता है। इसके लिए 20 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए एवं आद्र्रता, 80-85 तक होनी चाहिए। मशरूम उत्पादन के लिए कच्चा मकान जहां नमी हो वह उपयुक्त होता है। पक्के मकान में भी इसका उत्पादन कर सकते है। डोंगरगढ़ के ग्राम मुसरा से आयी मोना पटेल ने बताया कि उन्हें यहां प्रशिक्षण में बहुत कुछ सीखने मिला। कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करना है। स्व प्रेरणा के साथ कैसे आगे बढऩा है और स्वरोजगार अपनाकर सफल उद्यमी बनने के गुण बताए गए। आत्मनिर्भर होने तथा अनेकता में एकता की बातें बताई गई। उन्होंने कहा कि विश्व में मशरूम के लगभग 2500 प्रकार है, जिनमें से भारत में 2200 मशरूम है। वहीं इनमें से 20 से 22 मशरूम खाने योग्य होते है। उन्होंने बताया कि मशरूम के अलग-अलग नाम पुटु, भोड़ा, पिहरी, पैरा पुटु, हिंगरी पुटु, जंगली पुटु आदि होते हैं, वहीं बटन मशरूम, आयस्टर मशरूम, पैरा मशरूम एवं मिल्की मशरूम का उत्पादन 28 दिन में किया जाता है। डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम बनडोंगरी की दिनेश्वरी सोरी ने बताया कि बहुत दिनों से मशरूम का प्रशिक्षण लेने की इच्छा थी और यह शौक अब जाकर पूरा हुआ। यहां हमें यह बताया गया है कि डर को भगाना है और आत्मविश्वास बढ़ाना है। यहां बहुत अच्छी सुविधाएं दी जा रही है। सुबह में हम सभी योग एवं श्रमदान करते है। डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम घोटिया की संतन मंडावी ने कहा कि यहां हमने नियमों का पालन एवं अनुशासन तथा सभी से बातचीत करने का तरीका सीखा है। मानपुर विकासखंड के ग्राम सरोली की कंचन लता कोरेटी ने बताया कि यहां आकर भय दूर हुआ है और मशरूम व्यापार करने के लिए आत्मविश्वास बढ़ा है। घुमका की राजकुमारी साहू ने कहा कि वे गृहिणी है और यहां आकर रोजी-रोटी के लिए मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण ले रही है। जिससे उनमें संकोच दूर हुआ है और सबसे दोस्ती हुई है। उन्होंने कहा कि यहां से वापस जाकर समूह की सभी महिलाओं को मशरूम उत्पादन सीखाउगीं। खैरागढ़ विकासखंड के ग्राम ठेलकाडीह की लता यादव ने कहा कि मशरूम में कीट लगने पर दवाई का छिड़काव करने की जानकारी अच्छी तरह दी गई है। इस अवसर पर संकाय के प्रेमचंद साहू एवं धमतरी की ट्रेनर गुलेश्वरी साहू तथा अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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