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मक्कारी भी एक महामारी है….?

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(हजारों कविता , कहानी, शायरी, उपन्यास, लेख, निबंध, भाषण और प्रवचन से अधिक महत्वपूर्ण पिन प्वाइंटेड शोध परक आलेख- संपादक ) मक्कारी भी एक महामारी है….? समस्या तीन प्रकार की होती है. प्रकृतिगत,व्यवस्थागत और चरित्रगत. प्रकृतिगत और व्यवस्थागत समस्याओं के लिए हम राजनैतिक संघर्ष करते हैं, सरकारें प्रयत्न करती हैं . फिर भी समाज और संसार विकलांग बना हुआ है और बना रहेगा, जब तक हम चरित्रगत समस्या की ओर ध्यान नहीं देते. चरित्र रीढ़ की हड्डी है. कोई भी व्यक्ति या राष्ट्र रीढ़ की हड्डी के बिना ठीक से खड़ा नहीं हो सकता. और इस समस्या का हल समाज ही कर सकता है, सरकार या कानून नहीं. उल्लेखनीय है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपकी विचारधारा क्या है? विचाराधारायें तो असफल होती रही है और होती रहेंगी, जब तक हम चरित्रगत समस्या का समाधान नहीं कर लेते. चरित्रगत समस्या पर विचार करने पर यह स्पष्ट होता है कि चरित्र क ा सबसे खतरनाक और विषैला पहलू है मक्कारी. इस मक्कार संस्कृति को समझने के लिए आइये हम विचार करें कि मक्कारी क्या है? हिन्दी में जिसे धूर्त, उर्दू में चालाक, अरबी में शातिर, फारसी में मक्कार , संस्कृत में सठ और अंग्रेजी में कनिंग कहते हैं उसकी परिभाषा, लक्षण एवं विशेषताएं निम्र है:- जो व्यक्ति अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए छल, कपट, झूठ और बेइमानी का सहारा लेेकर लाभ उठाने की चेष्टा करता है उसे मक्कार, चालाक या धूर्त कहते हैं. शातिर भी इन्हें कहा जाता है. ऐसा व्यक्ति किसी को धोखे में रखकर या गुमराह करके मूल आशय को प्रकट किये बिना लाभ उठाता है ऐसे लोग अनैतिक इच्छा से दूसरों से सद्भावना सहित संबंध बनाते हंै और यूज एंड थ्रो की नीति पर काम करते हैं. यदि इन्हें लगेेगा कि अब संबंध बनाये रखने में कोई लाभ नहीं है तो संबंध तोड़ देंगे. उल्लेखनीय है कि ऐेसे लोगों के प्रति आप कितना भी उपकार करें या सहयोग प्रदान करेंं ये आपके प्रति कृतज्ञ नहीं होंगे, आपके प्रति इनके मन में कोई सद्भावना नहीं जागेगी उल्टे ये इसे आपकी मूर्खता और अपनी अकलमंदी समझेंगे. आप कितना भी श्रेष्ठ व्यक्ति हों. विद्वान हों या अच्छे व्यक्ति, इनके मन में कभी किसी के प्रति सम्मान का भाव नहीं आता क्योंकि ये स्वयं को सर्वाधिक बुद्धिमान समझते हैं। ये केवल भयकारक का सम्मान करते हैं. ऐसे लोग दुनिया में सबको बेवकूफ समझते हैं . जबकि बुद्धिमान व्यक्ति और चालाक व्यक्ति में अंतर यही होता है कि बुद्धिमान व्यक्ति अपनी समस्याओं का हल या उद्देश्यों की पूर्ति उचित तरीके से करता है जबकि चालाक व्यक्ति अनुचित तरीके से. दुर्भावनापूर्वक कार्य अनुचित है, सद्भावनापूर्वक कार्य उचित है. भिखारी मक्कार व्यक्ति से श्रेष्ठ है क्योंकि वह किसी से छल नहीं करता. उल्लेखनीय है कि धूर्तो की स्वयं की अलग-अलग स्थिति एवं परिस्थिति होती है उसके हिसाब से उनके आचरण और व्यवहार में अंतर होता है तथा उसके लक्षणों एवं विशेषताओं में भिन्नता होती है साथ ही धूर्त व्यक्ति की दत्त परिस्थिति या परिवेश में इच्छा आवश्यकता या उद्देश्य के अनुसार विशेषता तय होती है, तथापि निम्रांकित में से कतिपय बातों का होना उसके धूर्त होने को प्रमाणित करता है:-

1. मतलब के समय मीठा या नम्र व्यवहार करना.

2. पीछे से वार करना, बुराई करना.

3. हमेशा सहानुभूति बटोरने का प्रयत्न करना.

4. वक्त आने पर धोखा देना, पीछे हटना. इस्तेमाल करो इस्तेमाल होओ मत,इनका आप्त दर्शन होता है.

5.अपनी खुशी शेयर नहींं करना.

6. आपकी सफलता पर फीकी हँसी होना.

7. आपसे हमेशा सहायता लेने का प्रयास करेंगे.

8. आपके दुश्मनों से सांठ गांठ करेंगे।

9. ऐसे लोग किसी भी तरह सिर्फ अपना भला चाहते हैं.

10. दूसरों के सुख- दुख से इन्हें कोई मतलब नहीं होता.

11. जरूरत के समय झुकेंगे अन्यथा अकड़ दिखायेंगे.

12. अगर इन्हें प्यार, सम्मान या धन में से किसी एक को चुनना हंै तो धन को चुनेंगे.

13. किसी भी कार्य या घटना में अपना मतलब सिद्ध करने का प्रयास करेंगे.

14. तथ्यों को बदलकर अपने अनुकूल बनाकर प्रस्तुत करेंगे.

15. मुंहदेखी बात करेंगे.

16. दूसरों की भावनाओं से इन्हें कोई मतलब नहीं होता.

17. ऐसे लोग कि सी पर विश्वास नहीं करते.

18. दिल से इन्हें किसी से लगाव नहीं होता.

19. हर संबंध इनके लिए मतलब का होता हंै. मतलब के लिए संबंध बनाते हैं.

20. ऐसे लोग किसी के प्रति वफादार नहीं होते.

21. इनमें कभी कृतज्ञता का भाव नहीं जगता.

22. ये कभी भी धोखा दे सकते हैं.

23. अपने हित के लिए आपका अहित कर सकते हैं.

24. दिखावे के लिए कूटनीति के तहत कुछ अच्छा काम भी कर सकते हं, अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए, जिसमें अपनी अंटी ढीली न हो.

25. लेते समय तत्पर और देते समय प्राण सूखता है.

26. अपने साथ हुई बुरी बात के लिए ये दूसरों क ो जिम्मेदार ठहराते हैं.

27. ऐसे लोग स्वयं को सर्वाधिक बुद्धिमान समझते हैं.

28. ऐसे लोग अकेले में आपसे अच्छा व्यवहार करेंगे और दूसरों के सामने उपेक्षापूर्ण व्यवहार करते हैं.

29. किसी समूह में खर्च की स्थिति में यह प्रयास करेंगे कि उनकी जेब से कुछ न जाये और इज्जत भी बनी रहे.

30. मानसिक रूप से विकलांग ऐेसे लोग (क्योंकि इनका आईक्यू और ईक्यू दोनों गड़बड़ होता है) मनी माइंडेड अर्थात पैसे के आधार पर सोचने वाले होते हंै. आत्मसम्मान मरा हुआ तथा मन लालसाओं से भरा होता है. उल्लेखनीय है कि अधिकांश लोग अहंकार को ही आत्मसम्मान समझते हैं.

31. आवश्यकता से अधिक की इच्छा ही लालच है. किसी कारण से उचित अवसर मिलने पर ये सम्पत्ति का सम्राज्य खड़ा करते हैं जिन्हें हम व्हाईट कॉलर क्रीमिनल्स के रूप में जानते हंै.

32. मानसिक रूग्णतावश या जीवन दर्शन के अभाव के कारण ऐसे लोग नहीं सोच पाते कि एक सीमा के बाद सम्पत्ति या पैसा अपना अर्थ खो देती है. उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है. उसकी कोई सार्थक परिणिति नहीं होती.

संतानों को भी यह अकर्मण्य और विलासी बनाती है और समाज में अधिसंख्य लोगों को गरीबी के भंवर में ढकेल देती है. उपरोक्त आधारों पर धूर्तों की पहचान कर इन्हें सहयोग न करना, महत्व न देना तथा इनकी उपेक्षा करना परिवार, समाज, संगठनों और संस्थाओं के हित में है. संस्कृत में कहावत भी है, ”सठम प्रति साठ्यम. इससे धीरे -धीरे ऐसी प्रजाति का उन्मूलन हो जायेगा तथा ऐसा समाज बनेगा जिसमें सिर्फ मेहनत और ईमानदारी की कीमत हो.

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