Madhya Pradesh: एमपी में कांग्रेस खेल रही माइंड गेम, भाजपा-संघ के सर्वे पर पार्टी ने तैयार की चुनावी रणनीति
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अब कुछ वक्त बचा है। ऐसे में सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस दोनों चुनावी तैयारियों में जुटी हुई नजर आ रही हैं। इसी बीच कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र करते हुए बड़ा दावा किया है। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि आरएसएस के सर्वे से भाजपा में हाहाकार मचा हुआ है। प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में वापसी कर रही है। जबकि पार्टी और आरएसएस के विभिन्न सर्वे में पार्टी को 60 से भी कम सीटें मिलती हुई दिखाई दे रही हैं।Trending Videos
हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर लिखा है कि मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले कई सर्वे सामने आए हैं, जिनमें प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही है। साथ ही भाजपा 55 सीटों से भी कम पर सिमट रही है। कांग्रेस के पास 2018 के अपने 15 महीनों का कार्यकाल और कमलनाथ जैसे निर्विवाद और अनुभवी नेता का साथ है। इसे लेकर वह जनता के बीच पहुंच रही है।
Politics: शरद पवार का भाजपा पर बड़ा हमला, बोले- देश में BJP विरोधी लहर, देश की जनता चाहती है बदलाव
दरअसल, मध्यप्रदेश में भाजपा पर 18 वर्षों की देनदारियां और सरकार की कई ऐसी अधूरी घोषणाएं हैं, जो गंभीर सत्ता विरोधी लहर (एंटी इनकम्बेंसी) का रूप ले चुकी है। पिछले 5 महीनों में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर छह अलग-अलग सर्वे सामने आए हैं। सभी सर्वे में भाजपा की सीटें लगातार घटती जा रही हैं। इतना ही नहीं, भाजपा के सर्वे में भी पार्टी बुरी तरह से हारती हुई दिख रही है। ये सर्वे आने के बाद से मध्यप्रदेश भाजपा में खलबली मची है और ये सुझाव भी मिला है कि 60 फीसदी भाजपा विधायकों के टिकट काटे जाएं।
कुछ इस तरह है कांग्रेस द्वारा बताए गए 6 सर्वे के आंकड़े
- जनवरी 2023: संघ का एक सर्वे सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ जिसमें भाजपा 103 सीटों के साथ सरकार से बाहर जा रही है।
- फरवरी 2023: कांग्रेस पार्टी का एक आधिकारिक सर्वे सामने आया जिसमें भाजपा 95 सीटों सिमटती नज़र आ रही है।
- मार्च 2023: इंटेलिजेंस का एक गोपनीय सर्वे लीक हुआ इसमें भाजपा को 80 से भी कम सीटें मिलती नजर आ रही हैं।
- अप्रैल 2023: दैनिक भास्कर एवं ईएमएस समेत कई समाचार समूह के सर्वे प्रशासनिक हलकों में तेज़ी से वायरल हुए, जिसमें भाजपा 70 सीटों पर सिमट दिख रही है।
- मई 2023: ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक सर्वे हुआ जिसमें भाजपा को मात्र 65 सीटें मिलती नजर आ रही हैं।
- जून 2023: नवभारत समाचार ने एक सर्वे प्रकाशित किया, जिसमें भाजपा को मात्र 55 सीटों के साथ सत्ता से बाहर होते बताया गया है।
पहली बार कांग्रेस में नजर आ रहा है जबरदस्त उत्साह
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के जीत के दावे के कई कारण है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने वाली कांग्रेस अब पूरे जोश से मैदान में है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं कि 2018 के चुनाव से पहले मई में प्रदेश अध्यक्ष बना था, नवंबर में चुनाव थे। मध्यप्रदेश में काफी लोग मुझे पहचानते नहीं थे, मेरी कार्यशैली से वाकिफ नहीं थे, परंतु आज ऐसा नहीं है। मध्यप्रदेश का हर वर्ग कमलनाथ को और कमलनाथ की कार्यशैली को जानता और पहचानता है।
अमर उजाला से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार ऋषि पांडेय कहते हैं कि अभी तक की स्थिति में कांग्रेस भाजपा से आगे नजर आ रही है। पार्टी इस तरह के सर्वे सामने लाकर मध्यप्रदेश के लोगों के मन की स्थिति को टटोलने का प्रयास कर रही है। क्योंकि इससे पहले के आप कई चुनाव देख लें, कांग्रेस कभी इतनी एक्टिव और आक्रमक नहीं होती थी, जितनी इस बार नजर आ रही है। कमलनाथ सीधे भाजपा सरकार और प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रहे हैं। कमलनाथ ने भी महिलाओं से वादा किया है कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार आती है, तो नारी सम्मान योजना को लागू किया जाएगा। इसके फॉर्म अभी से भरे जाने लगे हैं। इसके जरिए पार्टी लोगों की भावनाओं को अपने पक्ष में करने के पूरे जतन कर रही है। इसके अलावा कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह भी पूरे प्रदेश में इन दिनों भ्रमण कर कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे हैं। वे खुले मंच से कह रहे हैं कि गुटबाजी हमें खत्म करना और साथ मिलकर चुनाव लड़ना है। क्योंकि यह चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति वाला है।
प्रदेश के कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रदेश में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की जीत के बाद प्रदेश के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है। कार्यकर्ता पहले से ज्यादा उत्साह में हैं। हिमाचल और कर्नाटक चुनाव के बाद पार्टी ये समझ रही है कि राज्यों के चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाते हुए दिख रही है। चाहे वह भ्रष्टाचार का मामला हो या कर्मचारियों की मांगों का सभी को प्रमुखता के साथ उठाया जा रहा है।