गाजियाबाद : लालच में इस कदर गिरा युवक: चार बच्चों के पिता ने खुद को और पत्नी को बताया अविवाहित, सास को दिलवाया लाभ
गाजियाबाद में सामूहिक विवाह योजना में हुई धांधली की जांच में रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। नया मामला मोदीनगर क्षेत्र का है, जिसमें जनसुविधा केंद्र संचालक चार बच्चों के पिता मनोज ने अपनी पत्नी को अविवाहित बताकर 75 हजार रुपये की अनुदान राशि ले ली है। मामले में जांच अधिकारी ने जनसुविधा केंद्र संचालक के खिलाफ रिपोर्ट बनाकर परियोजना निदेशक के पास भेज दी।
परियोजना निदेशक पीएन दीक्षित ने बताया कि वर्ष 2022 में श्रम विभाग द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह योजना में हुए घोटाले की जांच जारी है। जांच में फील्ड सर्वे भी किया जा रहा है और लाभार्थियों को कार्यालय में बुलाकर उनके बयान दर्ज कराए जा रहे हैं। गुरुवार को जांच अधिकारी ने मोदीनगर और मुरादनगर जाकर लाभार्थियों से पूछताछ की। पूछताछ पता चला कि मोदीनगर निवासी जनसुविधा केंद्र संचालक मनोज की सास श्रमिक बोर्ड में पंजीकृत हैं। इस पर उसने खुद को और पत्नी डॉली को अविवाहित बताकर सास को अनुदान दिलवा दिया।
पीएन दीक्षित ने बताया कि जांच के दायरे में आए लाभार्थियों की संख्या अधिक है, इसलिए जांच में समय लग रहा है। जांच टीम में शामिल समाज कल्याण अधिकारी अमरजीत सिंह मोदीनगर, मुरादनगर, उप निदेशक कृषि रामजतन मिश्रा भोजपुर और रजापुर ब्लॉक के लाभार्थियों की जांच पीएन दीक्षित कर रहे हैं। जनसुविधा केंद्र वालों की मिलीभगत आ रही सामने
जांच अधिकारियों के अनुसार श्रम विभाग से आवेदन फार्म मंगवा कर जांच की जा रही है। अधिकतर आवेदन में से प्राप्ति पर्ची (रिसीविंग स्लिप) लगी हुई है, लेकिन आवेदकों को प्राप्ति पर्ची नहीं दी गई है। इस मामले के के लिए नामित जांच अधिकारी और परियोजना निदेशक पीएन दीक्षित ने बताया कि सभी जांच में यह भी बातें सामने आ रही हैं कि जनसुविधा केंद्र वालों ने कुछ अनपढ़ श्रमिकों के दस्तावेजों का गलत फायदा भी उठाया है। ऑनलाइन आवेदन अधिकतर जनसुविधा केंद्र से कराए गए हैं। श्रम विभाग के अनुसार सिर्फ 37 हैं अपात्र
जांच के दौरान उप श्रमायुक्त के भी बयान दर्ज कराए गए हैं, जिसमें उन्होंने बताया कि है कि उनकी जांच में 37 अपात्र मिले थे जिनमें से 31 से रिकवरी हो गई है और छह लोगों को पर एफआईआर कराई है।