छत्तीसगढ़

छोटी-छोटी बातों से अवसाद का शिकार हो रहे दिल्लीवाले, टेली मानस से रोज 50 मरीजों की दूर की जा रही समस्या

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घर में परेशानी, पत्नी से झगड़ा, दफ्तर में साथ काम करने वालों से मनमुटाव जैसे छोटे-छोटे कारणों से दिल्ली वाले अवसाद का शिकार हो रहे हैं। कई लोग मानसिक समस्या से परेशान होकर गलत कदम तक उठा लेते हैं। ऐसे लोगों की मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) ने केंद्रीय कार्यक्रम के तहत टेली मानस की शुरुआत की है।

मानसिक समस्या से जूझ रहे लोग 14416 और 1800914416 हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके अपनी समस्याओं  को दूर कर सकते हैं। इस हेल्पलाइन पर हर दिन 50 के करीब कॉल आ रही हैं। कॉल करने वाले अधिकतर लोग 20 से 40 की उम्र के हैं। 

इन कॉल करने वाले लोगों से खराब मूड, नींद में खलल, मनोवैज्ञानिक समस्याएं, तनाव, पारिवारिक समस्या, निराशा, कुछ न होना लगना, आशा खो देना, आक्रामकता, नशा करना, इच्छा का खत्म होना, आत्महत्या का ख्याल आना, अजीब आवाज सुनाई देना, बहुत ज्यादा खुशी, मेडिकल समस्या, परीक्षा संबंधी समस्या, अधिक काम करना, थकान, अजीब और विचित्र आवाज सुनना, घबराहट होना, आवाज सुनाई देना , खुद को नुकसान पहुंचाना, कोई समस्या होना, दवा संबंधित दिक्कत, शरीर में अतिरिक्त परेशानी, दुर्घटना के पीड़ित और स्कूल जाने से इन्कार करने सहित 27 लक्षणों पर बात की जाती है।

टेलीमानस से रोज 50 मरीजों की दूर की जा रहीं समस्याएं
इहबास के उप चिकित्सा अधीक्षक व प्रोफेसर मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि मनोरोग से जूझ रहे लोगों की समस्या काउंसलिंग करके दूर की जा सकती है। हम टेलीमानस के माध्यम से रोज 50 मरीजों की समस्या दूर करते हैं। इस दौरान परिवार का भी साथ लेते हैं। कॉलर की अधिकतर समस्याएं ऐसी हैं जिन्हें बात करके दूर किया जा सकता है। यह ऐसी समस्याएं हैं जो वास्तव में कुछ हैं ही नहीं, लेकिन दूरी के कारण विकराल हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि मरीज से बात करने के दौरान यदि हमें लगता है कि मामला ज्यादा गंभीर है तो मरीज को अस्पताल बुलाया जाता है और दवा दी जाती है। हालांकि ज्यादातर मामले फोन पर ही डॉक्टर से बात करवाकर दूर हो जाते हैं।

भेजा जाता है डॉक्टर के पास
फोन पर बात करने के दौरान यदि कॉलर को लगता है कि व्यक्ति ज्यादा परेशान है और काउंसलिंग से बात नहीं बन सकती तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास भेजा जाता है। इस दौरान उसके आसपास के क्षेत्र के डॉक्टर का नाम व पता भी मरीज को बताया जाता है। ऐसे मरीजों को तुरंत दवा लेने की जरूरत पड़ती है जिससे न्यूरो संबंधी दिक्कत को दूर किया जा सके। डॉक्टरों का कहना है कि मानसिक रोग के लिए दवा से ज्यादा काउंसलिंग महत्वपूर्ण है लेकिन कई बार दवा के बिना काम नहीं चल पाता।

युवाओं में आ रही ज्यादा दिक्कत
परिवार में झगड़े, काम का दबाव, आपसी उलझन सहित अन्य समस्याओं में सबसे ज्यादा 20 से 40 वर्ष के युवा फंस रहे हैं। इहबास में आने वाली कॉल में सबसे ज्यादा कॉल इसी आयु वर्ग की होती है। इहबास के कॉल सेंटर पर 24 घंटे सातों दिन सुविधा उपलब्ध रहती है। ऐसे में सबसे ज्यादा कॉल रविवार व शनिवार को आती हैं। मरीज कई बार कॉलर से बात करने के बाद कॉल डॉक्टर के पास ट्रांसफर करवाता है। बता दें कि कॉलर आपकी समस्या सुनते हैं और 27 सवालों के आधार पर स्थिति का आकलन कर फोन को डॉक्टर के पास भेज देते हैं।

ली जाती है परिवार की मदद
अवसाद में पहुंच चुके लोगों की मदद के लिए डॉक्टरों के साथ परिवार की भी मदद ली जाती है। कई बार फोन पर मदद मांगने वाले ज्यादा परेशान होते हैं। वह जिंदगी को खत्म करने की बात करता है। ऐसे मरीजों की बात तुरंत डॉक्टर से करवाई जाती है। साथ ही उक्त व्यक्ति के परिवार को भी संपर्क किया जाता है, जिससे व्यक्ति पर नजर रखी जा सके। व्यक्ति को अवसाद से बाहर लाने के लिए काउंसलिंग दी जाती है। उसके परिवार को भी साथ समय गुजारने के लिए कहा जाता है।

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