छत्तीसगढ़ में मिला सुनहरा लाल हिरण: कांगेर वैली में हुआ ट्रैप
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि चौसिंगा को वन कर्मचारियों और ग्रामीणों द्वारा पार्क में पहले भी देखा गया था, लेकिन पहली बार यह ट्रैप कैमरे में कैद हुआ है। यह एक छोटा एंटीलोप है, जो सिर्फ भारत और नेपाल के जंगलों में पाया जाता है।
छत्तीसगढ़ में दुर्लभ प्रजाति का हिरण मिला है। इसका रंग सुनहरा लाला हैं। यह हिरण बस्तर स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में लगे कैमरे में ट्रैप हुआ है। खास बात यह है कि यह हिरण दुर्लभ प्रजाति का है। इसके चार सींग होते हैं, जिसके चलते इसे चौसिंग कहते हैं। वैली में इसके मिलने के बाद से वन्य प्राणियों में खुली है। हालांकि कैमरे में नजर आने के तुरंत बाद ही यह वन्यजीव कुलांचे भरते हुए राष्ट्रीय उद्यान की वादियों में खो गया।
वन्यजीव एक्सपर्ट बताते है की चौसिंगा को फोर हॉर्नड एटीलोप कहते है, जो प्राय: भारत और नेपाल में पाया जाने वाला हिरण होता है। इस परिवार के अन्य सदस्यों में दो सींग होते है, जबकि इसके चार सींग होते है। यह सुनहरी लाल रंग, 22-25 इंच ऊंचाई और अधिकतम 22 किलो वजन का वन्यजीव होता है। इसके एक जोड़ी सींग दोनों कान के बीच में, जबकि दूसरे जोड़ी सींग आगे की और होते हैं। यह जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की शेडयूल एक के तहत संरक्षित है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि उद्यान में बेहतर हैबिटेट और सुरक्षित वातावरण मिलने से दुर्लभ प्रजाति के वन्य प्राणी देखने को मिल रहे हैं। चौसिंगा को वन कर्मचारियों और ग्रामीणों द्वारा पार्क में पहले भी देखा गया था, लेकिन पहली बार यह ट्रैप कैमरे में कैद हुआ है। यह एक छोटा एंटीलोप है, जो सिर्फ भारत और नेपाल के जंगलों में पाया जाता है।