
इस बार दीपावली पर्व गजकेसरी, भद्रक और आयुष्मान योग में मनाई जाएगी। जिसे अति शुभ योग माना गया है। कोरोना काल के बाद चार ग्रहों की युति से दीपावली पर खूब समृद्धि के संकेत हैं। इस दिन तुला राशि में सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा विराजमान रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को ग्रहों का सेनापति, बुध को ग्रहों का राजकुमार और चंद्रमा को मन का कारक माना है। चंद्रमा से बुध केंद्र में होने से भद्रक और गुरु होने से गजकेसरी राज योग बन रहे हैं।
पंडित सतीश वशिष्ठ ने बताया कि इन अद्भुत योगों में महालक्ष्मी की पूजा से मां लक्ष्मी घर प्रतिष्ठान में स्थायी निवास करती हैं। सही समय में सही पूजा शुभ फल देगी। इस बार की दीपावली स्वाति नक्षत्र में होने से विशेष शुभदायक है। पूजन का चौघड़िया मुहूर्त है। पंडित हरीशचंद्र शास्त्री के अनुसार, लक्ष्मी-गणेश पूजन शाम 6:05 बजे से रात्रि आठ बजे के बीच शुरू किया जा सकता है। दिन के समय व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व उद्योगों में दोपहर 12:05 बजे से 2:30 बजे तक पूजन किया जा सकता है।
ऐसे करें पूजन
पंडित सतीश वशिष्ठ के अनुसार पूजन से पहले पूरे घर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए गंगाजल का छिड़काव करें और रंगोली सजाएं। अब पूजा स्थल पर एक चौकी सजाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। चौकी पर जल से भरा एक कलश जरूर रखें। इसके बाद लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा पर तिलक लगाकर दीप जलाएं। इसके बाद अक्षत, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल, फल मां लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें। इसके बाद कुबेर देवता, भगवान विष्णु, मां काली और मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करें। बहीखाता और व्यापारिक उपकरण का भी पूजन करें।
सुबह आठ बजे होगा पितृ पूजन
सुबह पितृ पूजन का समय आठ बजे से शुरू होगा। सेक्टर-13 स्थित गीता मंदिर के पंडित हरीशचंद्र शास्त्री ने बताया कि इस पूजन से परिवार श्राद्ध के दिनों में पितृ पूजन नहीं कर पाते या जिनके परिवारों में दीपावली पर पितृ पूजन की परंपरा है वे खुशी मनाने से पूर्व पितरों को याद करते हैं। देव शयनी एकादशी जुलाई में आती है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चार महीने भगवान नारायण व लक्ष्मी जी शयन मुद्रा में रहते हैं। दीपावली पर लक्ष्मी जी पहले जागती हैं। उनके स्वागत में दीपावली पर पूजन किया जाता है।