महिलाओं के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी पर होगा अपराध दर्ज
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा. किरणमयी नायक ने जिला पंचायत सभाकक्ष में जिले से आयोग को प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। सुनवाई में 19 प्रकरण आयोग के समक्ष रखे गए। डा. नायक ने कहा कि महिलाएं अत्याचार सहने के लिए नहीं है। किसी भी पुरूष को यह अधिकार नहीं है कि महिला पर अत्याचार करे और उसे प्रताड़ित करे। यदि कोई महिला अत्याचार सिर्फ इसलिए सह रही है कि वह महिला या पत्नी है और अत्याचार सहना उसकी नियति है, तो वह पुरुष को प्रोत्साहन देने के बराबर है। महिलाओं को अपने हक के लिए आवाज उठानी चाहिए। महिलाओं पर अमर्यादित टिप्पणी पर अपराध दर्ज होगा।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा. किरणमयी नायक द्वारा सुनवाई की गई। एक प्रकरण में एक आवेदिका द्वारा सोशल मीडिया पर टिका-टिप्पणी किए जाने की शिकायत प्राप्त हुई थी। इसमें अनावेदक ने माफी मांगी गई और भविष्य में इस तरह की टीका-टिप्पणी नहीं करने की बात कही।
एक अन्य प्रकरण में पत्नी ने बताया कि अनावेदक ने उसके साथ धोखाधड़ी करते हुए समझौतानामा बनाकर अपना प्रकरण वापस करवाया और निलंबन को वापस करवाया। निलंबन से पति से पत्नी बहाल होने के बाद आवेदिका के साथ फिर से मारपीट और दुर्व्यवहार करने लगा। पत्नी अपने पति के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुसंशा चाहती है। लेकिन पति पत्नी के मध्य आपसी प्रकरण न्यायालय में प्रक्रियाधीन है। आयोग ने आवेदिका को कहा कि वह अधिवक्ता के माध्यम से लड़े तथा सक्षम न्यायालय में अपना अधिकार प्राप्त करें। एक अन्य प्रकरण तहसीलदार के खिलाफ आया, जिसे अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया गया। आयोग के पास दहेज प्रताड़ना, कार्य स्थल पर प्रताड़ना, मारपीट, सम्पत्ति, तलाक और भरण-पोषण के विभिन्ना मामले आते है।