शिवानी अवस्थी
संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा 2020 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है। परिणाम आने के बाद लड़कियों का दबदबा रहा। कुल 761 सफल अभ्यर्थियों में 216 बेटियों ने परचम लहराया। इसमें पहला स्थान बिहार के शुभम कुमार ने प्राप्त किया लेकिन आल इंडिया रैंकिंग (एआईआर) में दूसरा स्थान रहा भोपाल की जागृति अवस्थी का। महिला उम्मीदवारों में जागृति अवस्थी ने टॉप किया है। जागृति ने वैकल्पिक विषय के तौर पर समाजशास्त्र के साथ परीक्षा पास की। उनकी सफलता कई मायनों में खास है। आईएएस बनने के लिए जागृति और उनके माता पिता ने कई बलिदान दिए। जहां जागृति ने यूपीएससी पास करने के लिए अपनी इंजीनियर की नौकरी तक छोड़ दी तो वहीं उनके माता पिता ने चार साल तक टीवी नहीं देखी। चलिए जानते हैं यूपीएससी परीक्षा 2020 में बेटियों का नाम रोशन करने वाली जागृति अवस्थी के बारे में।
कौन है जागृति अवस्थी, जानिए परिवार के बारें में
24 साल की जागृति अवस्थी मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हैं। उनके परिवार में माता-पिता और एक भाई है। जागृति के पिता एससी अवस्थी पेशे से होमियोपैथ हैं। वहीं उनकी मां एक स्कूल टीचर थी, हालंकि जागृति की पढ़ाई में मदद करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। जागृति का एक भाई भी है जो एमबीबीएस सेकंड ईयर का छात्र है।
जागृति अवस्थी की शिक्षा
जागृति अवस्थी ने भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बी.टेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) में ग्रेजुएशन किया है। बता दे कि साल 2016 में जागृति ने इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। जिसके बाद जागृति गेट की परीक्षा में शामिल हुईं और उसमें सफलता हासिल कर के बाद भेल में बतौर टेक्निकल ऑफिसर नौकरी करने लगीं। हालाँकि जागृत का सपना तो सिविल सर्विसेज में आने का था, जिसके जागृति ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और दो साल बाद इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी।
आईएएस बनने के लिए जागृति ने छोड़ी नौकरी
साल 2019 में जागृति ने अफसर बनने के सपने को पूरा करने की ठान ली और दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में एडमिशन ले लिया। हालाँकि कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोपाल लौटना पड़ा। लेकिन उनकी पढ़ाई नहीं रुकी। जागृति ने ऑनलाइन क्लासेज की।
जागृति अवस्थी की सफलता
आईएएस बनने के लिए जागृति ने इंजीनियरिंग छोड़ी तो उनके माता पिता ने भी बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया। माँ ने बेटी की मदद के लिए टीचर की नौकरी छोड़ी तो घर पर चार सालों से टीवी को ऑन भी नहीं किया गया। ये सारे बलिदान जागृति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे। पहले प्रयास में जागृति प्रीलिम्स भी पास नहीं हो सकी थीं लेकिन उन्होंने दृढ़ निश्चय किया और दूसरे प्रयास में टॉपर बन गयीं।