टॉय-ट्रेन चलाने शासन ने पालिका से सालभर पहले मांगा प्रस्ताव पर सर्वे कर जमीन भी नहीं तय कर सके
रायपुर रेलवे स्टेशन में बंद पड़े नैरोगेज इंजन व डिब्बों का सदुपयोग करके नगर पालिका की आय का स्रोत बढ़ाने तथा धर्मनगरी आने वाले पर्यटकों को मनोरंजन के क्षेत्र में नई सुविधा देने की योजना जनप्रतिनिधियों ने करीब साल भर पहले तैयार की थी। लेकिन योजना को मूर्त रूप देने अफसर ही रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
क्योंकि कलेक्टर ने साल भर पहले नगर पालिका को पत्र भेजकर टॉय-ट्रेन चलाने के संबंध में प्रस्ताव मांगा था। किंतु साल बीत जाने के बाद भी पालिका का प्रस्ताव शासन के पास नहीं पहुंचा है। तकनीकी अफसरों के साथ मिलकर पहले सर्वे कर जानकारी देनी थी कि टॉय-ट्रेन चलाने के लिए शहर में जमीन मौजूद है। लेकिन विडंबना ये है कि इस कार्य भी अफसर पूरा नहीं कर पाए हैं। शासन के प्रस्ताव से पहले सांसद संतोष पांडे व विधायक भुनेश्वर बघेल ने केंद्र व राज्य सरकार को पत्र लिखकर बंद पड़े नैरोगेज इंजन व डिब्बों का उपयोग करने का सुझाव दिया था। जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव पर ही ऐतिहासिक धरोहर को संजोकर रखने के लिए पहल की गई है। लेकिन अब तक विभागों के बीच सिर्फ पत्राचार हो रहा है। जमीनी स्तर पर काम नहीं दिख रहा है।
जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव पर मुहर नहीं लग पा रही
जनप्रतिनिधियों के सुझाव के अनुसार मां बम्लेश्वरी, प्रज्ञागिरि व चंद्रगिरि पहाड़ से होकर टॉय-ट्रेन गुजरेगी। जिसमें करीब 12-13 किलोमीटर दायरा टॉय-ट्रेन के रेंज में आएगा। लेकिन प्रक्रिया में देरी शासन के ही अफसर कर रहे हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव पर मुहर नहीं लग पा रही है।
नगर पालिका की एक धरोहर रोप-वे लगभग बंद के कगार पर तो दूसरा भी विकल्प
रोप-वे बंदः नगर पालिका के पास रोप-वे धरोहर के रूप में है। किंतु कोरोनाकाल से बंद पड़े रोप-वे को दोबारा शुरू करने की उम्मीद काफी कम है। हालांकि दोबारा टेंडर मंगाने के बाद दो फर्मों ने संचालन के लिए रूचि दिखाई है। इधर मंदिर ट्रस्ट का आधुनिक रोप-वे शुरू होने के बाद नपा रोप-वे के कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। रोप-वे के संचालन से पालिका को 8-10 लाख रुपए का राजस्व मिलता था। अब बंद होने से नगर पालिका को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस पर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
टॉय-ट्रेनः पर्यटकों को सुविधा व मनोरंजन के लिए टॉय-ट्रेन शुरू करने की प्लानिंग है। संचालन पालिका करेगी साथ ही इससे नगर पालिका की आय भी बढ़ेगी। प्रस्ताव के मुताबिक टॉय-ट्रेन चलाने के लिए राज्य सरकार की काफी जमीन मौजूद है। वहीं कुछ ही हिस्सों पर निजी जमीनें आएगी जिसका अधिग्रहण करना होगा। रेलवे के लिए कबाड़ हो चुके नैरोगेज इंजन व डिब्बे भी काम में आ सकेंगे तथा इससे रेलवे को भी मुनाफा होगा। साथ ही टॉय-ट्रेन धर्मनगरी आने वाले वाले पर्यटकों के लिए एक नया अनुभव देगा।
रेलवे व राज्य सरकार की इस तरह से रहेगी भूमिका
धमतरी व राजिम रूट में चलने वाली नैरोगेज ट्रेन अब बंद हो चुकी है। जिससे इंजन व कोच कबाड़ के रूप में पड़े हैं। जिसका उपयोग टॉय-ट्रेन के रूप में करने का प्रस्ताव है। रूट निर्माण से लेकर ड्राइवर, गार्ड व अन्य टेक्निकल स्टाफ रेलवे मुहैया कराएगा। राज्य शासन व रेलवे के बीच एक करार होगा। डोंगरगढ़ में रेलवे स्टाफ होने से संचालन को लेकर दिक्कत नहीं आएगी। केंद्र से पत्र मिलने के बाद रायपुर डीआरएम ने नैरोगेज इंजन व डिब्बों को देने सहमति भी जता दी है। निकाय सुस्ती दिखा रहा है।
सर्वे कर जमीन चिह्नांकित कर जानकारी भेजना है
सीएमओ यमन देवांगन ने बताया कि टॉय-ट्रेन चलाने के लिए मेरे ज्वाइनिंग के पूर्व एक प्रस्ताव संभवतः शासन को भेजा गया है। अभी तकनीकी टीम के साथ सर्वे कर जमीन चिह्नांकित कर जानकारी शासन को देनी है। जिसका कार्य बहुत जल्द प्रारंभ हो जाएगा। वहीं रोप-वे संचालन के लिए दो फर्मों ने रूचि दिखाई है। इस विषय को आगामी दिनों में होने वाली पीआईसी की बैठक में प्रमुखता के साथ रखा जाएगा।