बांस ने भी तोड़ा नीलामी में राजस्व प्राप्ति का रिकाॅर्ड, लगभग 11 करोड़ रुपए मिले

खैरागढ़ वन मंडल प्रदेश के बांस वनक्षेत्र की दृष्टि से बड़े वन मंडलों में से एक है। वर्ष 2020-21 में वन मंडल के 17 बांस कूपों के 4585.245 हेक्टेयर क्षेत्र में संवेदनशील परिस्थितियों में अमले ने योजनाबद्ध ढंग से बांस विदोहन और परिवहन किया।
इसके परिणाम स्वरूप निर्धारित दर से जहां व्यापारिक बांस का वितरण वन मंडल सहित अन्य वन मंडलों के परंपरागत बंसोड़ परिवारों को उनके रोजगार के लिए किया गया। वहीं ग्रामीणों को उनकी निस्तारी आवश्यकता की पूर्ति के लिए बांस प्रदाय किया गया। औद्यौगिक बांस के विक्रय से इस वित्तीय वर्ष के द्वितीय नीलामी में रिकाॅर्ड तोड़ राजस्व की प्राप्त हुई है। गत माह अछोली काष्ठागार डोंगरगढ़ में आयोजित नीलामी में औद्यौगिक बांस की 22 लॉट एवं काष्ठ की 208 लॉट सहित कुल 230 लॉट विक्रय के लिए रखी गई। इन लॉटों में औद्योगिक बांस का अपसेट प्राइज 2 करोड़ 77 लाख 34 हजार रुपए व काष्ठ 720.331 घन मीटर के साथ 427 जलाऊ चट्टों का अपसेट प्राइज 1 करोड़ 80 लाख 24 हजार रुपए रखा गया था। नीलामी में 59 क्रेताओं ने भाग लिया। कुल 165 लाटों का विक्रय वन विभाग ने इन क्रेताओं को किया। काष्ठ निर्धारित अवरोध मूल्य राशि एक करोड़ 34 लाख 63 हजार रुपए से 37 प्रतिशत से अधिक की दर पर राशि एक करोड़ 84 लाख 62 हजार रुपए में बिकी।
नीलामी में रख्खे गए औद्यौगिक बांस से अभूतपूर्व राजस्व की प्राप्ति हुई है। कुल 21 लॉटों के निर्धारित अवरोध मूल्य दो करोड़ 77 लाख पांच हजार रुपए से 77 प्रतिशत से अधिक मूल्य 4 करोड़ 91 लाख 200 रुपए की प्राप्ति हुई। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। जुलाई में नीलामी में भी वनोपज के निर्धारित अवरोध मूल्य की राशि 3 करोड़ 91 हजार रुपए से 40 प्रतिशत अधिक दर पर बिक्री हुई। इसका विक्रय मूल्य राशि 4 करोड़ 21 लाख 47 हजार रुपए प्राप्त हुए। खैरागढ़ वन मंडल अंतर्गत 11 करोड़ रुपए की राजस्व की प्राप्प्ति हुई। कोविड- 19 संक्रमण काल के दौरान भी लगातार रिकाॅर्ड राजस्व की प्राप्त हुई है। इस कार्य में मुख्य वन संरक्षक शालिनी रैना की विशेष भूमिका रही। वहीं डीएफओ खैरागढ़ संजय यादव के मार्गदर्शन में यह प्रक्रिया हुई।