छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

मलेरिया उन्मूलन के लिए नई रणनीति बनाकर करेंगे काम

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राजनांदगांव। मलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में नई रणनीति बनाकर पड़ोसी राज्यों के भी संवेदनशील क्षेत्रों के स्वास्थ्य विभाग की सहभागिता से विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसी प्रयास की सार्थकता के लिए छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सहित तीन राज्यों के आठ जिलों के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में आयोजित की गई। एक अंतर्राज्यीय मलेरिया नियंत्रण कार्यशाला में मलेरिया से बचाव के उपायों पर विस्तृत चर्चा की गई है।

राजनांदगांव के एक होटल में अंतर्राज्यीय मलेरिया नियंत्रण कार्यशाला का आयोजन कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के मुख्य आतिथ्य में संपन्ना हई। इसमें राजनादगांव के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. मिथिलेश चौधरी के साथ ही पड़ोसी जिले कवर्धा से सीएमएचओ डा. एसके मंडल, बालोद से डा. जेपी मेश्राम, शहीद अस्पताल दल्लीराजहरा से डा. जेना, बालाघाट से डा. मनोज पांडेय, गढ़चिरोली से मलेरिया अधिकारी डा. मोदक और गोंदिया से डा. नितिन कापसे शामिल हुए। वहीं कार्यक्रम में जिले के समस्त खंड चिकित्सा अधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी तथा स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय संचालक डा. केआर कांबले और राज्य स्तर से राज्य मलेरिया अधिकारी एवं संचालनालय के उच्च अधिकारी ने भी प्रमुखता से हिस्सा लिया।

प्रसार दर एक प्रतिशत से भी कम कार्यशाला में मलेरिया उन्मूलन के आवश्यक उपाय तथा माध्यमों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। प्रारंभ में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. मिथिलेश चौधरी ने कार्यशाला के उद्देश्य बताए। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव जिले के बार्डर क्षेत्र जंगलों से घिरे हुए हैं जो कि प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले कवर्धा, बालोद, कांकेर, दुर्ग तथा महाराष्ट्र के गढ़चिरोली, गोंदिया एवं मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले से लगे हुए हैं और इस क्षेत्र की पहचान वर्षों से सामान्यतः मलेरिया प्रभावित क्षेत्र के रूप में रही है। मलेरिया के कारण इस क्षेत्र के सभी जिलों में मलेरिया धनात्मक प्रकरण बड़ी संख्या में सामने आते हैं। यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में मलेरिया नियंत्रण पर बहुत अच्छा काम हुआ है और प्रदेश के ज्यादातर मलेरिया प्रभावित जिलों में मलेरिया का प्रसार दर एक प्रतिशत से भी कम हो गया है फिर अभी भी आदिवासी बहुत घने जंगलों वाले क्षेत्रों के सभी जिलों को एक साथ मिलकर मलेरिया पर विशेष काम करने की आवश्यकता है।

मलेरिया उन्मूलन के लिए नई पहल आवश्यक : कलेक्टर कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने कहा कि राजनांदगांव जिले की सीमाएं कवर्धा, बालोद, कांकेर, दुर्ग, मध्यप्रदेश के बालाघाट एवं महाराष्ट्र के गढ़चिरोली व गोंदिया जिले को भी छूती हैं। इन सभी जिलों की पहचान मलेरिया प्रभावित जिलों की रही है और इस क्षेत्र के सभी जिलों के निवासी वृहद रूप से मलेरिया से प्रभावित होकर संकट में आते रहे हैं। यही वजह है कि इन क्षेत्रों में मलेरिया नियंत्रण के लिए एक नवीन पहल की आवश्यकता है। इन समस्त संवेदनशील जिलों के अनुभवी अधिकारियों के कार्य अनुभव से एक नई रणनीति बनाकर सभी की सहभागिता से एक साथ इस पूरे क्षेत्र में मलेरिया उन्मूलन का कार्य किया जा सकता है।

सभी जिलों के लिए उपयोगी होगी कार्यशाला : कांबले स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय संचालक डा केआर कांबले ने कहा, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत छत्तीसगढ़ में बेहतर काम हो रहा है और बहुत से जिलों में मलेरिया प्रसार की दर बहुत हद तक नियंत्रित है। यह कार्यशाला निसंदेह सभी प्रतिभागी जिलों के लिए उपयोगी होगी और बेहतर रणनीति के साथ सभी के साझा प्रयास से मलेरिया नियंत्रित हो सकेगी। कार्यशाला में प्रश्नोत्तरी के लिए भी विशेष सेशन रखा गया था, जिसमें सभी आगंतुकों ने अपने प्रश्न पूछे और आए हुए विशेषज्ञों ने उनका उत्तर देकर जिज्ञासाओं को शांत किया।

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