शिक्षित बेरोजगारों का मखौल उड़ा रहे डॉ. रमन सिंह- हेमा देशमुख
महापौर ने पूछा- १५ साल तक सत्ता में रहकर नांदगांव में कितने उद्योग खुलवाए ?
राजनांदगांव, 29 मई। महापौर एवं प्रदेश महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती हेमा सुदेश देशमुख ने कहा है कि स्वयं मुख्यमंत्री रहते हुए मनरेगा के कामकाज को लेकर केन्द्र की मनमोहन सरकार से पुरस्कार पाने वाले डॉ. रमन सिंह आज किस मुंह से मनरेगा के श्रमिकों का मखौल उड़ा रहे हैं? प्रदेश में १५ सालों तक राज करने वाले डॉ. रमन सिंह लोगों को बताएं कि राजनांदगांव के विधायक और प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राजनांदगांव और जिले के पढ़े-लिखे बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कितने उद्योग-धंधे, कारखाने खुलवाएं हैं ?
श्रीमती देशमुख ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा भूपेश सरकार में पढ़े-लिखे बेरोजगार मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं दिये गये बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि पंद्रह सालों तक ऐसे ही पढ़े-लिखे बेरोजगारों से मनरेगा में मजदूरी कराने वाले डॉ. रमन सिंह आज उन्हीं लोगों का मजाक उड़ा रहे हैं। वैसे भी मनरेगा को लेकर भाजपा और उनके नेताओं का नजरिया शुरू से सकारात्मक नहीं रहा है। मोदी जी ने तो संसद में यह कहकर मनरेगा का मजाक उड़ाया था कि २१वीं सदी में गांवों के लोग गड्ढे खोदें, यह मैं होने नहीं दूंगा। मेरे विचार से मनरेगा को बंद कर देना चाहिए और अब उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ. रमन सिंह मनरेगा में काम करने वाले लोगों की मजाक उड़ा रहे हैं। कांग्रेस नेत्री हेमा देशमुख ने कहा कि डॉ. रमन सिंह को याद होना चाहिए कि वे जब मुख्यमंत्री थे, तब छत्तीसगढ़ में मनरेगा के कामकाज को लेकर केन्द्र की तत्कालीन मनमोहन सरकार ने राज्य को कई बार पुरस्कृत किया था। पिछले साल और इस वर्ष लाकडाउन के कारण कोरोना संकट की घड़ी में जब ग्रामीणों की रोजी रोटी छीन चुकी थी। लोग काम और पैसे की तलाश में बेरोजगार बैठे थे, तब रोजगार गरेंटी योजना के तहत मनरेगा से आर्थिक स्थिति मंें सुधार आया, मनरेगा ही ग्रामीणों का सहारा बनी और कोरोना काल में भी लोगों को रोजगार मिला और आर्थिक संबल मिला।
भाजपा का जिलाध्यक्ष भी मनरेगा मजदूर
श्रीमती देशमुख ने डॉ. रमन सिंह को याद दिलाते हुए कहा कि उन्हीं की पार्टी का एक जिलाध्यक्ष महादेव का नाम मनरेगा के मजूदर कार्ड मे नाम दर्ज था। उनके परिवार के अन्य दो लोग मनरेगा में श्रमिक है। झारखंड के गिरीडीह के देवरी गांव में रहने वाले महादेव भाजपा के जिलाध्यक्ष थे, जिनका नाम कुछ वर्ष पूर्व मनरेगा मजदूरों के गुलाबी कार्ड में दर्ज था। उन्होंने कहा कि सालाना दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा कर देश के करोड़ों शिक्षित बेरोजगारों की नौकरी छीनने वाले भाजपाइयों को किसी मजदूर और पढ़े-लिखे बेरोजगारों का मखौल उड़ाने का कोई हक नहीं बनता। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि डॉ. रमन सिंह सत्ता से बेदखल होने के बाद अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं और अनावश्यक बयानबाजी कर लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
रमन राज में जिले में कितने उद्योग खुले ?े
महापौर ने कहा कि वर्ष २०१३ के मई माह में डॉ. रमन सिंह ने विकास यात्रा के माध्यम से राजनांदगांव जिले का भ्रमण कर स्वयं अपनी पीठ थपथपाई थी और उस दौरान मीडिया से बात करत ेहुये कहा था कि जिले में बहुत जल्द दो बड़े उद्योग खोले जायेंगे, जिससे हजारों बेरोजगारों को काम करने का अवसर मिलेगा। डॉ.रमन सिंह उस विकास यात्रा के बाद पांच साल तक और मुख्यमंत्री बने रहे, किंतु जिलेवासियों को कोई बड़ा उद्योग-धंधा या कारखाने खोलकर लोगों को रोजगार देने में नाकाम रहे और अब जबकि सत्ता उनके हाथ से चली गई है, तब वे लोगों को भ्रमित करने और अखबारों की सुर्खियों में बने रहने के लिए उलजुलूल बयानबाजी करते आ रहे हैं।
महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष एवं महापौर श्रीमती देशमुख ने कहा कि प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को नियमित करने का वादा भी रमन सरकार ने किया था और अपनी मांगे मनवाने के लिए जब शिक्षाकर्मियों ने राजधानी में प्रदर्शन किया, तब उन्हें पुलिस के हाथों लाठी-डंडे से पिटवाया गया। कई निर्दाेष लोगों को बेवजह जेल में ठूंसवा दिया गया। प्रदेश में जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी, तब उन हजारों शिक्षाकर्मियों को न्याय मिला और मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने वादे पर अमल करते हुए सभी शिक्षाकर्मियों को संविलियन का तोहफा दिया।