विभाग की नाकामियों की वजह से प्रतिवर्ष सैकड़ों गरीब बच्चे निःशुल्क शिक्षा से हो रहे है वंचित
राजनांदगांव। सरकार बच्चों को शिक्षा से जोड़ रखने के लिए कई योजना संचालित कर रही है और करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है, लेकिन जिले में शिक्षा के अधिकार कानून का बूरा हाल है, क्योंकि गरीब बच्चें निःशुल्क शिक्षा पाने भटक रहे है। बताते है कि इस शिक्षा सत्र 2021-22 में लगभग 1000 बच्चें जो शासकीय और निजी विद्यालय के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से उत्तीर्ण होकर कक्षा नवमीं पहंुचे है, अब इन बच्चों को किसी अन्य शासकीय या निजी विद्यालय के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाना है, क्योंकि जिन स्कूलों में यह पढ़ रहे थे, वहां के स्कूलों का संचालन सिर्फ कक्षा आठवी तक ही हो रहा है।
बताते है कि जिले में 9 सरकारी अंग्रेजी माध्यम और 25 प्रायवेट अंग्रेजी माध्यम के स्कूल है, जहां सिर्फ कक्षा आठवीं तक ही कक्षाओं का संचालन हो रहा है और इन सभी बच्चों को शासकीय या निजी विद्यालयों में प्रवेश दिलाने की पूर्ण जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी के पास इन बच्चों को कक्षा नवमीं में प्रवेश दिलाने की कोई ठोस योजना नहीं है, यानि इन बच्चों को स्वयं अपने जिम्मेदारी से अपने खर्चे में आगे की पढ़ाई पूर्ण करना पड़ेगा, जो शिक्षा का अधिकार कानून और राज्य सरकार के आदेश दिनांक 24.06.2019 का स्पष्ट उल्लघंन है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनसुार बीते शिक्षा सत्र 2020-21 में लगभग 25 प्रायवेट अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से 500 आरटीई के बच्चें कक्षा आठवी उत्तीर्ण कर कक्षा नवमीं पंहुचे थे, लेकिन शिक्षा विभाग ने सिर्फ 17 बच्चों को अन्य स्कूलों के कक्षा नवमीं में प्रवेश दिलाया था, बाकि बच्चें कहां है, इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के पास नहीं है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के द्वारा भी इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर बच्चों को कक्षा नवमीं में प्रवेश दिलाने की समुचित व्यवस्था करने की मांग किया गया है।