संकट में मिल रहा है मनरेगा का साथ, 62 हजार ग्रामीण रोजगाररत
राजनांदगांव। कोरोना के संकट काल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) काफी कारगर साबित हो रही है। संक्रमण के कारण लगभग सभी के काम-धंधे बंद हैं। ऐसे समय में जिले में करीब 62 हजार ग्रामीण मनरेगा में रोजगाररत हैं। अभी 1378 काम चल रहे हैं। हर दिन मजदूरी के रूप में ग्रामीणों की 11 करोड़ 96 लाख लाख छह हजार रुपये की कमाई हो रही है। प्रशासन के हाथ में 7800 काम अलग से और है। मई के अंत तक और नये काम शुरू कराए जा सकते हैं। हर दिन रोजगाररत ग्रामीणों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक पहुंचाने का लक्ष्य है।
कोरोना के संकट काल में मनरेगा इन दिनों ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है। सारे निर्माण कार्यों को बंद करा दिया गया है, लेकिन गांवों में मनरेगा निरबाध जारी है। इससे ग्रामीणों को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ रहा। दूसरी तरफ ग्रामीण विकास की गति भी बरकरार है। गांवों में तालाब व डबरी निर्माण हो रहा है। भूमि सुधार का काम जारी ही है। कच्ची सड़कें भी बन रही है।
हितग्राहीमूलक कामों को प्राथमिकता मनरेगा के कामों को कोरोना संक्रमण से दूर रखने विशेष ऐहतियात भी बरती जा रही है। बड़े समूह वाले काम जैसे तालाब व डबरी के अलावा सड़क निर्माण जैसे कामों के बजाय व्यक्तिमबलक कामों को प्रथामिकता दी जा रही है। ताकि कोरोना अनुशासन का भी पालन आसानी से कराया जा सके। यही कारण है कि भूमि सुधार. शेड निर्माण जैसे छोटे-छोटे कामों को कराया जा रहा है। जिले में करीब 750 हितग्राहीमूलक काम कराए जा रहे हैं।
प्रशासन का मानना है कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में भी मनरेगा काफी कारगर साबित हो रही है। रोजगाररत ग्रामीण योजना का काम पूरा करने के बाद घरों में ही रहकर बाकी समय काट ले रहे हैं। रोजी-मजदूरी के लिए उन्हें संक्रमण काल में असुरक्षित मानी जा रही भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाना नहीं पड़ रहा। हालांकि अधिक मरीज वाले गांवों में मनरेगा के कामों को फिलहाल रोक दिया गया है। जहां काम जारी है, वहां भी शारीरिक दूरी व मास्क जैसे कोरोना अनुशासन का अनिवार्य रूप से पालन भी कराया जा रहा है।