राजनांदगांव : डोंगरगांव विधायक माननीय हर्षिता दलेश्वर साहू जी को प्रमोशन में आरक्षण हेतु सौंपा गया ज्ञापन

राजनांदगांव | प्रमोशन में आरक्षण का पालन कराने हेतु माननीय मुख्यमंत्री के नाम अमिताभ दुफारे जिला उपाध्यक्ष अजाक्स राजनांदगांव, लेखराम मात्रा अध्यक्ष सर्व आदिवासी विकास समिति राजनांदगांव वअनुसुचित जाति जं जति फोरम के सदस्य कपूरचंद डोंगरे के नेतृत्व में डोंगरगढ़ विधायक माननीया हर्षिता स्वामी बघेल जी को ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में कहा गया है माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी आपके द्वारा लोकसभा चुनाव के पहले एक सभा कृषि प्रांगण मुंगेली में जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि आरक्षण कभी खत्म नहीं होगा,गरियाबंद जिले के बिंद्रानवागढ़ विधानसभा अंतर्गत ग्राम गुुरुजी भाठा में जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस आरक्षण के नाम पर जनता को गुमराह कर रही है कि आरक्षण खत्म हो जाएगा। मैं विश्वास दिलाता हूं ऐसा कुछ नही होगा। जनता उनके उनके भ्रम में न आवे, कभी आरक्षण खत्म नहीं होगा।

अवगत होना चाहेंगे हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य के आधी आबादी अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारी पिछले 6 साल से राज्य में भारत के संविधान में निहित अनुच्छेद 16(4 ए) सहपठित अनुच्छेद 335 परिपालन नहीं होने से परेशान है, इन प्रावधानो के अनुसार प्रत्येक शासकीय पदों में अनुसूचित जाति,जनजाति वर्गों के दावे होने के बावजूद पदोन्नति में आरक्षण नीति अधिसूचित नहीं की जा रही है एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के दावे के अंतर्गत आने वाली पदों में गैर आरक्षित वर्गों को भरा जा रहा है।
आपकी सरकार बने लगभग डेढ़ साल हो गया, आपकी सरकार में भी हमारी कोई सुनवाई नहीं है। आपके प्रशासन में कई बार जिम्मेदार अधिकारियों के समक्ष पदोन्नति में आरक्षण नीति लागू करने आवेदन, निवेदन कई बार कर चुके हैं,इसके बावजूद हमारी आवाज सुनी नहीं जा रही है।
माननीय मुख्यमंत्री जी बताएंगे कि क्या राज्य की आधी आबादी की संवैधानिक मांगों को दरकिनार करने से सुशासन स्थापित हो जाएगा ? संविधान में समुचित प्रावधान होने के बावजूद भी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन राज्य में नहीं हो पा रहा है,इसे क्या समझा जाए। राज्य में तानाशाही जैसा माहौल बनते जा रहा है,जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
शासन प्रशासन की हठधर्मिता से से राज्य के अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लोग परेशान है एवं अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
आप खुद अनुसूचित जनजाति वर्ग से ताल्लुक रखते हैं एवं आरक्षित कोटे से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे हैं एवं संविधान में मौजूद राजनैतिक प्रतिनिधित्व के अधिकार,जो अनुसूचित जाति,जनजाति वर्गों के लिए विशेष आरक्षित सीट का प्रावधान का अधिकार है,जिसके बदौलत आप कई बार सांसद रहे हैं और अभी आप छत्तीसगढ़ राज्य में बतौर मुख्यमंत्री पद को सुशोभित कर रहे हैं।
क्या हम अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लोग केवल वोट बैंक है,चुनाव के ठीक पहले आरक्षण लागू करने, आरक्षण खत्म नहीं करने से संबंधित बड़े-बड़े बयान विभिन्न सभाओं में देते आए है।लेकिन बड़ी दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जैसे ही चुनाव खत्म होता है,आरक्षण से संबंधित तमाम नीतियों पर रोक लगा दी जाती है।
यदि वास्तव में आपकी सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है और योजनाओं का उचित क्रियान्वयन आम जनता तक करवाना चाहती है एवं संविधान को उचित तरीके से पालन करवाना चाहती है तो आपसे आग्रह है, कृपया संविधान में निहित अनुच्छेद 16 (4 ए) एवं अनुच्छेद 335 के परिपालन में तत्काल अनुसूचित जाति, जनजाति वर्गों के संवैधानिक हितों से संबंधित परिणामी वरिष्ठता सहित पदोन्नति में आरक्षण नीति अधिसूचित करें एवं राज्य शासन के विभिन्न विभागों में प्रक्रियाधीन पदोन्नति के पदों में आरक्षण खत्म करने का खेल बंद हो।
ज्ञापन सौंपने वालों में , राम लाल मंडलोई, ठाकुर सर, और खेमलाल देशलहरे सर भीषण ठाकुर, महेश सुधाकर, पुरुषोत्तम रामटेके, विलास सहारे गांधी तनय तांडिया , फोरम के कई साथी तथा अजाक्स के कई सदस्य शामिल थे ।