छत्तीसगढ़सुकमा जिला

CG : बस्तर पंडुम में दिखी जनजातीय संस्कृति की अनूठी झलक

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सुकमा । कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के निर्देशन एवं सीईओ जिला पंचायत श्रीमती नम्रता जैन के मार्गदर्शन में बस्तर पंडुम 2025 का  विकासखंड स्तरीय आयोजन स्वामी विवेकानंद परिसर, सुकमा में हर्षाेल्लास के साथ संपन्न हुआ। यह उत्सव बस्तर की समृद्ध जनजातीय संस्कृति को उजागर करने के साथ ही स्थानीय समुदाय को अपनी परंपराओं और विरासत को संजोने का अवसर भी प्रदान कर रह है।

बस्तर पंडुम परंपरा और विकास का संगम

कार्यक्रम में शामिल जनप्रतिनिधि धनीराम बारसे कहा कि ने जनजातीय कला और संस्कृति की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बस्तर क्षेत्र में लगभग 68 प्रतिशत जनजातीय आबादी निवास करती है, जो अपनी अनूठी परंपराओं, रीति-रिवाजों और कला-कौशल के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा कि बस्तर पंडुम परंपरा और विकास का संगम है।

अन्य जनप्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर पंडुम से की सांस्कृतिक विरासत को संजोने का और स्थानीय समुदाय के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस आयोजन ने जनजातीय समुदायों को अपनी कला और परंपराओं को प्रदर्शित करने का मंच प्रदान किया, जिससे उनकी सांस्कृतिक पहचान को और भी मजबूती मिलेगी।

जनजातीय कला और व्यंजनों की मनमोहक प्रस्तुति

उत्सव के दौरान ग्राम पंचायतों से आईं स्व-सहायता समूहों की महिलाओं के द्वारा पारंपरिक व्यंजनों और पेय पदार्थों की प्रदर्शनी लगाई गई। स्टॉलों में स्थानीय व्यंजनों की विशेषता को दर्शाते हुए चपड़ा चटनी, टोप्पो भेंडा, इमली चटनी जैसी पारंपरिक स्वादिष्ट चीज़ों को प्रदर्शित किया गया, जिससे अतिथियों एवं नागरिकों को बस्तर की पारंपरिक पाक-कला से रूबरू होने का अवसर मिला।

पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य की मनमोहक छटा

उत्सव के दौरान प्रतिभागियों को उनकी पारंपरिक जनजातीय वेशभूषा में देखा गया, जिससे पूरे आयोजन का माहौल और भी अधिक रंगीन और आकर्षक बन गया। लोक कलाकारों ने बस्तर के प्रचलित महुआ लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति देकर समा बांध दिया।

सात विधाओं में जनजातीय कला का प्रदर्शन

बस्तर पंडुम 2025 में सात प्रमुख विधाओं के माध्यम से जनजातीय कला-संस्कृति को प्रदर्शित किया गया, जिनमें जनजातीय नृत्य, जनजातीय गीत, जनजातीय नाट्य वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी, जनजातीय वेशभूषा एवं आभूष , जनजातीय शिल्प एवं चित्रकला ,जनजातीय व्यंजन एवं पेय पदार्थ शामिल थे। विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। जिसमें वेशभूषा में ग्राम पंचायत चिकपाल, वाद्य यंत्र में ग्राम पंचायत बुड़दी , लोक नृत्य में ग्राम पंचायत गुफड़ी, व्यंजन एवं पेय पदार्थ में ग्राम पंचायत मानकापाल, लोकगीत में ग्राम पंचायत पोंगभेज्जी, लोक नाट्य में ग्राम पंचायत कोर्रा और शिल्प कला में ग्राम पंचायत डोडपाल शामिल है। इस अवसर जनप्रतिनिधियों धनीराम बारसे, जनपद पंचायत सुकमा अध्यक्ष संतोष ईड़ो, उपाध्यक्ष श्रीमती रीना पेद्दी, जनपद पंचायत सदस्यों में श्रीमती ज्योति मुचाकी, आयताराम मांडवी,  देवा माड़वी, दशरथ कुमार नायक के साथ ही जनप्रतिनिधि दिलीप पेद्दी सहित  डिप्टी कलेक्टर सुमित कुमार ध्रुव,  आदिवासी विकास विभाग एवम् जनपद पंचायत सुकमा के अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।

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