राजनांदगाँव : बॉयोसेंसर से बीमारियों को पहचानना आसान- डॉ. भावना पाण्डेय

-दिग्विजय महाविद्यालय में ’रिसर्च मेथोडोलॉजी पर सात दिवसीय कार्यशाला का छठवाँ दिन
राजनांदगाँव। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुचित्रा गुप्ता के कुशल निर्देशन एवं संयोजक डॉ. सोनल मिश्रा के मार्गदर्शन में पीएम उषा के अन्तर्गत वनस्पति विज्ञान विभाग एवं महिला सेल के संयुक्त तत्वाधान में ’रिसर्च मेथोडोलॉजी’ विषय पर 5 से 13 फरवरी तक आयोजित किए जा रहे सात दिवसीय कार्यशाला के छठवें दिन मुख्य वक्ता के रूप में भिलाई महिला महाविद्यालय के बॉयोटेक्नालॉजी एवं माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. भावना पाण्डेय उपस्थित रहे। संयोजक डॉ. सोनल मिश्रा ने इस अवसर पर उपस्थित मुख्य वक्ता डॉ. भावना पाण्डेय एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. अनीता महिश्वर, विभागाध्यक्ष वनस्पतिशास्त्र, दिग्विजय महाविद्यालय का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया। मुख्य वक्ता डॉ. भावना पाण्डेय ने ’रिसर्च मेथोडोलॉजी’ के तहत ’बॉयोसेंसर’ विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि किसी बॉयोलॉजिकल क्रिया को सिग्नल में बदल देना ही बॉयोसेंसर है। बॉयोसेंसर वास्तव में एक ऐसा छोटा सा चिप है जिसे हम अपने शरीर में त्वचा के अंदर लगा सकते हैं। बॉयोसेंसर से बीमारियों को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है। बॉयोसेंसर के संदर्भ में सभागार में उपस्थित विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को उन्होंने बताया कि पहला बॉयोसेंसर ’ग्लूकोमीटर’ था जिसे लिलैंड सी. क्लार्क ने बनाया था इसलिए लिलैंड सी. क्लार्क को बॉयोसेंसर का जनक कहा जाता है। बॉयोसेंसर की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए डॉ. भावना पाण्डेय ने कहा कि बॉयोसेंसर को संवेदनशील होने के साथ ही उसे निर्धारित कार्य के लिए होना चाहिए एवं उसकी रेंज अच्छी होनी चाहिए। बॉयोसेंसर के अनुप्रयोगों को बताते हुए उन्होंने कहा कि शरीर की बीमारियों को पहचानने के अलावा इसका प्रयोग संक्रमण से बचने, पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी परीक्षण जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य परीक्षण एवं खाद्य पदार्थों की सुरक्षा व रक्षा क्षेत्रों में किया जा सकता है। इस अवसर पर डॉ. भावना पाण्डेय को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यशाला में कमला कॉलेज एवं साइंस कॉलेज के विद्यार्थियों ने भी अपनी सहभागिता दी। साथ ही डॉ. किरण जैन, आकांक्षा रामटेके, विजय कुमार वर्मा सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे । कार्यशाला का संचालन एवं अतिथियों के प्रति आभार प्रदर्शन प्रगति नोन्हारे ने किया।