राजनांदगांव : स्वामी विवेकानंद युवा अभिप्रेरणा के महान संत – द्विवेदी
राजनांदगांव | अखिल विश्व में विशिष्ट पहचान एवं अदभुत विचार दर्शन तथा युवाओं के सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक स्वामी विवेकानंद जी की शुभ जन्म जयंती परिप्रेक्ष्य एवं अत्यंत मंगल अवसर पर नगर के संस्कृति प्रज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने विशेष आह्वान चिंतन -विमर्श में बताया कि श्रेष्ठ सार्थक अर्थो में अपने समय के अतिशय विलक्षण संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस के परमप्रिय शिष्य स्वामी विवेकानंद जी युवा अभिप्रेरणा के महान संत हुए है जिनकी वाणी और अमर वाक्य – दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है, उन्नति के मार्ग पर रहें अग्रसर, हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहे, जीवन में जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी और सर्वाधिक ओजपूर्ण कथन – ‘‘उठो जागो और तब तक मत रूको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते’’। स्वामी जी को युवाओं का महानायक एवं सर्वश्रेष्ठ युवा आदर्श सहज-सरल रूप में अभिप्रमाणित कर देते है। देश-धरती में उत्कृष्टतम सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्वामी विवेकानंद जी हमेशा युवाओं को ही प्राथमिकता देते है, उनका मानना था कि युवा ही देश के भविष्य है। युवाओं को ही देश की उन्नति-उत्थान के लिए आगे होकर कार्य करना चाहिए। आगे डॉ. द्विवेदी ने जोर देकर बताया कि स्वामी जी के अनुसार अधिसंख्य जनों को शिक्षित होकर कर्मयोग के सिद्धांतों और श्रेयस्कर व्यक्तित्व के निर्माण एकाग्रता, ध्यान और इंद्री-संयम जैसे जीवन सूत्र अपनाने वाले युवा-जन ही अप्रितम राष्ट्रबोधी भावना के साथ देश-धरती को आगे, आगे और आगे बढ़ा सकते है। आईये यूरोप-अमेरिका और संपूर्ण विश्व को भारतीय वेदांत और विश्व बंधुत्व की अतिशय शुभ मंगलकारी सतनातनी दर्शन का प्रत्यक्ष बोध कराने वाले महान युवा संत एवं ओजस्वी विचार वेत्ता स्वामी विवेकानंद जी की 162 वीं जयंती दिवस पर हम सभी जन-जन राष्ट्रहित सर्वोपरि की अनुपम भावना-कामना को लेकर राष्ट्रसेवा हेतु संकल्पित हों। और माँ भारती को पुन: विश्व गुरू पद पर आसीन करने हेतु मनसा-वाचा-कर्मणा से पहल प्रयास करते रहे। यही स्वामी जी के प्रति सत्य, सार्थक-श्रेयष्कर श्रद्धांजलि होगी।