मध्य प्रदेश

बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ रचनात्मक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर लें हिस्सा

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बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ रचनात्मक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर लें हिस्सा

महापौर श्रीमती मालती राय राष्ट्रीय बालरंग के समापन समारोह में हुईं शामिल

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ रचनात्मक और कलात्मक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिये- महापौर

भोपाल

भोपाल नगर निगम महापौर श्रीमती मालती राय ने कहा है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ रचनात्मक और कलात्मक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिये। इसके लिये शिक्षक बच्चों को प्रोत्साहित करें। महापौर श्रीमती मालती राय आज राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में स्कूल शिक्षा विभाग के राष्ट्रीय बालरंग समारोह के समापन समारोह को संबोधित कर रही थीं।

महापौर श्रीमती राय ने कहा कि राष्ट्रीय बालरंग में विभिन्न राज्यों के बच्चों की प्रस्तुतियाँ राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करती हैं। बच्चों को इस आयोजन से विभिन्न राज्यों की संस्कृति और विरासत को जानने का भी मौका मिलता है। कार्यक्रम में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पाण्डे, संचालक लोक शिक्षण डी.एस. कुशवाह और विभागीय अधिकारी पी.के. सिंह भी उपस्थित थे।

प्रतियोगिता के परिणाम

राष्ट्रीय बालरंग में 22 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के बच्चों ने अपने-अपने राज्य की संस्कृति पर आधारित लोक-नृत्य की प्रस्तुतियाँ दीं। प्रथम पुरस्कार पांडिचेरी के बच्चों को दिया गया। पुरस्कार स्वरूप एक लाख 11 हजार रुपये की राशि प्रदान की गयी। द्वितीय पुरस्कार हरियाणा के बच्चों को दिया गया। पुरस्कार स्वरूप 75 हजार रुपये की राशि दी गयी। तृतीय पुरस्कार केन्द्र शासित राज्य चण्डीगढ़ को दिया गया। उन्हें 51 हजार रुपये की राशि प्रदान की गयी। सांत्वना पुरस्कार मध्यप्रदेश और उत्तराखण्ड के बच्चों को उनके प्रदर्शन के लिये दिया गया। इन्हें 21-21 हजार रुपये की राशि दी गयी।

विविध गतिविधियाँ

तीन दिवसीय राष्ट्रीय बालरंग में विजन-2047 प्रदर्शनी लगायी गयी थी। प्रदर्शनी में राजधानी भोपाल के बच्चों ने वर्ष 2047 के विजन के अनुरूप मॉडल प्रदर्शित किये। विकसित भारत अभियान पर विभिन्न राज्यों की संस्कृति को दर्शाती प्रदर्शनी लगायी गयी थी। इसके अलावा स्काउट कैम्प, हस्तशिल्प प्रदर्शनी और विभिन्न राज्यों के व्यंजनों के स्टॉल लगाये गये थे। इनमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर सहभागिता की। बालरंग में तात्कालिक भाषण, प्रश्न-मंच, केलियोग्रॉफी, लोक-गीत, सुगम संगीत और नि:शक्त बच्चों के लिये विशेष प्रतियोगिताएँ आयोजित की गयीं।

 

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