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राजनंदगांव : छत्तीसगढ़ के लोकतंत्र सेनानियों ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर सम्मान की अपेक्षा मुख्यमंत्री से की- मनोज निर्वाणी

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सरकार द्वारा द्वारा कम मूल्य पर जमीन उपलब्ध कराया जाए

राजनंदगांव। लोकतंत्र प्रहरी मनोज निर्वाणी ने बताया कि लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने के नेतृत्व में प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी से भेंट कर प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों को अपने अल्प से कार्यकाल में प्रदान किए गए भावपूर्ण सम्मान हेतु आभार व्यक्त किया।
 संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर तिवारी राष्ट्रीय संरक्षक सदस्य एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष  दत्ता त्रिपुरवार, बिलासपुर जिला अध्यक्ष सुनील पुराणिक, प्रदेश कार्यालय मंत्री संतोष शर्मा एवं अन्य पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि वर्ष 2008 से लोकतंत्र सेनानियों को जो सुविधाये व सम्मान मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदान किया जाता रहा है वह सभी छत्तीसगढ़ में भी यथावत वृद्धि कर प्रदान किया जाता रहा है। लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सोनी द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम अग्रेषित ज्ञापन की प्रति मुख्यमंत्री को प्रदान करते हुए प्रदेश के सेनानियों ने मुख्यमंत्री से अपेक्षा की है कि प्रदेश के सेनानियों के हितों को सदैव सुरक्षित रखे जाने हेतु मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की तर्ज पर “छत्तीसगढ़ लोकतंत्र सेनानी सम्मान अधिनियम” बनाया जावे। उसी प्रकार मध्य प्रदेश व हरियाणा सरकारों के तर्ज पर प्रदेश के सेनानियों को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया जाए। जिस प्रकार मध्य प्रदेश शासन द्वारा “आपातकाल 1975” में एक माह से कम कालावधि के लिए निरुद्ध रहे सेनानियों को रुपए 10000/- तथा एक माह या एक माह से अधिक कालावधि के लिए निरुद्ध रहे सेनानियों को रू 30000/ तीस हजार प्रति माह की दर से सम्मान निधि की पात्रता है उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ के मिसा बंदियों को भी सम्मान निधि प्रदान की जावे। लोकतंत्र सेनानियों ने कहा है कि पर्यटन विभाग के सभी इकाइयों में सेनानियों को “अति विशिष्ट अतिथि “का दर्जा प्रदान कर भोजन । ठहरने हेतु 40% छूट मध्य प्रदेश के तर्ज पर प्रदान की जावे। इसी प्रकार मध्य प्रदेश के तर्ज पर राज्य के लोकतंत्र सेनानियों को नई दिल्ली स्थित छत्तीसगढ़ भवन में एक कैलेंडर वर्ष में 30 दिन निशुल्क ठहरने की सुविधा प्रदान की जावे।
मध्य प्रदेश के पैटर्न पर छत्तीसगढ़ के सर्किट हाउस एवं विश्राम गृहों में सेनानियों को तीन दिन ठहरने की अनुमति और शुल्क में 50% छूट प्रदान की जावे। उपासने ने निवेदन किया कि छत्तीसगढ़ के सेनानियों के वाहनों को प्रदेश के टोल नाकों पर छूट प्रदान की जावे । प्रदेश के उन सेनानी परिवारों व सेनानियों को आपातकाल में कांग्रेस शासन ने वैचारिक विरोधियों के रूप में गिरफ्तार कर मीसा व डी आई आर के अलावा अन्य धाराओं में गिरफ्तार कर प्रताड़ित कर जेलों में डाला या थानों में ही प्रताड़ित कर छोड़ दिया गया। ऐसे योद्धाओं का भी शासन स्तर पर सम्मान हो यह विचारधारा का सम्मान होगा। सेनानियों ने पुर्जी रूप से यह मांग किया है कि आपातकाल के अत्याचारों की यादों को समाज में चिरस्थाई बनाने एवं रखने के लिए “आपातकाल 1975 “के संघर्ष व यातनाओं को प्रदेश के पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने की घोषणा की जावे। मध्य प्रदेश के तर्ज पर लोकतंत्र सेनानियों के बच्चों को उ‌द्योग के लिए प्रशिक्षण रोजगार की व्यवस्था शासन द्वारा की जावे तथा लोकतंत्र सेनानियों को फोटो युक्त परिचय पत्र जारी किया जावे एवं लोकतंत्र सेनानियों को नया रायपुर में कम दरों पर भूखंड आवंटित किया जावे। इस प्रकार के मांगे आज सेनानी संघ के प्रतिनिधि मंडल ने माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष रखी है।
उपासने ने मांग की कि शासन स्तर पर “छत्तीसगढ़ में आपातकाल” का एक संदर्भ ग्रन्थ प्रकाशित किया जावे, जिसमें छत्तीसगढ़ की जेलों में इक्कीस माह तक निरुद्ध रहे मीसा बंदियों, सत्याग्रहियों का जीवन परिचय व संस्मरण प्रकाशित किए जाएं। इस हेतु शासन स्तर पर एक समिति का गठन कर आपातकाल की पचासवीं वर्षगांठ पर “आपातकाल योद्धा” के नाम से उसका प्रकाशन किया जावे। माननीय मुख्यमंत्री जी ने सभी ज्ञापन को गंभीरता से पठन के बाद आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

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