मध्य प्रदेश

कृषि सहकारी समितियां अब प्रदेश के गांवों में जन औषधि केंद्र भी चलाएंगी

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भोपाल
मध्य प्रदेश की ग्राम पंचायतों में कृषि साख सहकारी समितियां (बी-पैक्स) अब मेडिकल स्टोर यानी जन औषधि केंद्र भी चलाएंगी। यहां से ग्रामीणों को बाजार के मुकाबले सस्ती दरों पर कारगर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध हो पाएंगी। इस प्रयोग से सहकारी समितियों को आय का नया स्रोत भी मिल जाएगा।

सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ऐसे जन औषधि केंद्रों के संचालन के लिए प्रदेश की 275 समितियों का चयन किया गया। इनमें से 270 ने अपना औपचारिक आवेदन विभाग को कर दिया। इनमें से 55 समितियों को केंद्र संचालन का लाइसेंस जारी किया गया है। 24 समितियों में जन औषधि केंद्र शुरू भी करवा दिए गए हैं।

बढ़ रहा जेनेरिक दवाओं का कारोबार
मध्य प्रदेश में ऐसा प्रयोग पहली बार हो रहा है। उत्तर प्रदेश में कृषि साख सहकारी समितियां वर्ष 2023 में ही दवा कारोबार में उतर चुकी हैं। बता दें, मध्य प्रदेश में जन औषधि केंद्रों में व्यवसाय अच्छा हो रहा है। पिछले पांच वर्ष में यहां 44 करोड़ रुपये की जेनेरिक दवाएं बिकी हैं।

फार्मा कंपनी से होगा अनुबंध
नियमों के मुताबिक किसी दवा दुकान के संचालन के लिए फार्मासिस्ट होना अनिवार्य है। जिला उपायुक्त, सहकारिता छविकांत बाघमारे ने बताया कि कृषि साख सहकारी समितियों के जन औषधि केंद्र का संचालन करवाने के लिए फार्मा कंपनी से अनुबंध किया जाएगा। केंद्र सरकार को इसका प्रस्ताव जाना है। वर्तमान में सीहोर, धार सहित कुछ जिलों में समितियों ने स्थानीय स्तर पर फार्मासिस्ट नियुक्त कर दुकानों का संचालन शुरू किया है।

किसानों को होगा सीधा फायदा
कृषि साख सहकारी समितियों पर जन औषधि केंद्र खुलने का सबसे अधिक लाभ किसानों को मिलेगा। वे अपने घर के नजदीक सस्ती दवाइयां प्राप्त कर सकेंगे। वहीं समितियों के स्वावलंबी होने से भी किसानों को कर्ज और दूसरी सुविधाएं मिलने में आसानी हो जाएगी।

साख समितियों को बहुउद्देशीय बनाने की कवायद
सरकार बेहतर कार्य करने वाली सहकारी साख समितियों को बहु उद्देश्यीय और विविध व्यवसाय करने वाली समिति बनाने की कोशिश कर रही है। सहकारिता विभाग ने 4500 समितियों में से 2000 समितियों को इसके लिए चुना है।

समितियां कर रही ये कारोबार
आर्गेनिक उत्पादों का व्यवसाय करने के 1,454 समितियों ने आवेदन किया है। इन समितियों के यहां आर्गेनिक बीज तैयार करने के लिए जगह भी उपलब्ध है। इस तरह की ज्यादातर समितियां आदिवासी क्षेत्रों में किसानों के साथ मिलकर काम करेंगी।
समितियों को निर्यात कारोबार से जोड़ने का भी प्रस्ताव है। इन समितियों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई गई है। नेशनल एक्सपोर्ट कोऑपरेटिव सोसायटी की सदस्यता के लिए 1,700 समितियों से आवेदन कराया गया है।

प्रदेश की कई कृषि साख सहकारी समितियों को अलग-अलग काम करने के लिए कहा गया है। अभी इन समितियों को जन औषधि केंद्र संचालित करने के लिए लाइसेंस दिए जा रहे हैं।
-मनोज कुमार सरियाम, पंजीयक सहकारी संस्थाएं, मध्य प्रदेश

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