आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर की अगुवाई वाले पैनल के अनुसार, फरवरी 2021 के अंत तक भारत में कोरोना के 1.06 करोड़ मामले हो सकते हैं। अभी तक देश में 75 लाख केस सामने आए हैं।
देश में कोविड-19 महामारी 17 सितंबर को अपने चरम पर पहुंच गई थी। सरकार की ओर से गठित एक्सपर्ट्स की एक कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2021 के आखिर तक कुल मामलों की संख्या 1.06 करोड़ हो सकती है। तब तक कोरोना की रफ्तार न के बराबर होगी। फिलहाल भारत में 75 लाख से ज्यादा केस हैं। रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी तक इसमें 26 लाख मामले और जुड़ेंगे। साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने यह पैनल बनाया था। इसमें देश के नामी वैज्ञानिक संस्थान- IITs, IISc बेंगलुरु, ISI कोलकाता और CMC वेल्लोर के साइंस्टिस्ट्स शामिल थे। उन्होंने कहा कि फरवरी 2021 तक ‘न्यूनतम सक्रिय संक्रमणों’ के साथ महामारी को कंट्रोल किया जा सकता है। यह रिपोर्ट एक मैथेमेटिकल मॉडल पर बेस्ड है। हालांकि कमिटी ने साफ कहा कि अगर लोग लापरवाही बरतेंगे तो यह अनुमान गलत साबित होंगे।
‘फरवरी 2021 तक डेथ रेट घटकर हो जाएगा 0.4%’
कमिटी ने पाया कि देश की 30% आबादी में ऐंटीबॉडीज मौजूद हो सकती हैं। अगस्त में यह आंकड़ा 14% था। पैनल के प्रमुख प्रोफेसर एम विद्यासागर ने कहा, “30% आबादी में ऐंटीबॉडीज होना अच्छी खबर है, यह बताता है कि महामारी का प्रकोप घट रहा है। दूसरी बात ये है कि सकल मृत्यु-दर कुल संक्रमण का 0.4% रहने का अनुमान है।”
अगर मार्च में न लगता देशव्यापी लॉकडाउन तो…
कमिटी ने उन हालातों का अंदाज भी लगाया है जो लॉकडाउन न लगाने पर पैदा होतीं। रिपोर्ट के अनुसार, तब भारत में कोरोना ने कहर बरपा दिया होता। जून 2020 तक ही 1.4 करोड़ से ज्यादा मामले आ गए होते। जून में ही कोरोना पीक पर होता और करीब 50 लाख ऐक्टिव केस होते। रिपोर्ट में कहा गया कि लॉकडाउन से कोरोना कर्व ‘फ्लैट’ हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन न लगने पर मरने वालों की संख्या 6 लाख से ज्यादा होती। अभी तक भारत में कोरोना से 1.14 लाख लोगों की मौत हुई है।
जरा सी लापरवाही फेर सकती है कई महीनों की मेहनत पर पानी
कमिटी ने साफ कहा कि अगर लोग सावधानियों का पालन जारी नहीं रखते तो उनके अनुमान ठीक साबित नहीं होंगे। मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग, ट्रेसिंग और क्वारंटीन में कोताही नहीं होनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनके अलावा कोविड कर्व का फ्लैट होना इस बात भी निर्भर करेगा कि राज्य टेस्टिंग और कंटेनमेंट प्रोटोकॉल को कितने प्रभावी ढंग से लागू रखते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अगर हमने थोड़ी सख्ती की तो फरवरी 2021 तक 92 लाख केस ही होंगे। अगर लापरवाही हुई तो 1.37 करोड़ केस भी हो सकते हैं। अगर पूरी तरह छूट दे दी गई तो 1.76 से ज्यादा मामले फरवरी तक हो सकते हैं।
सरकारी पैनल ने बताया, आगे क्या करना है
अनुमानों के साथ अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने कहा है कि अब लॉकडाउन नहीं लगाया जाना चाहिए। रिपोर्ट कहती है कि राज्य और जिला स्तर पर ताजा लॉकडाउन की जरूरत नहीं है बशर्ते हेल्थकेयर फैसिलिटीज पर बड़ा खतरा न हो। प्रो. विद्यासागर ने कहा, “हम रिलैक्स नहीं हो सकते क्योंकि यह ट्रेंड तभी बरकरार रहेगा जब हम सावधानी बरतना जारी रखेंगे। पैनल के अनुसार, उसके मॉडल के अनुमान (21 सितंबर) से चार दिन पहले ही भारत में कोरोना पीक पर पहुंच गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, बिना सावधानी बरते एक महीने में 26 लाख मामले तक आ सकते हैं।