भोजपुरी को चुनावी एजेेंडे में शामिल करें पार्टियां
‘आखर भोजपुरी’ नामक सोशल मीडिया समूह के एक लाइव साहित्यिक बातचीत में दिग्विजय कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर मुनि राय ने कहा है कि भारत की क्षेत्रीय भाषाओँ में सबसे अधिक लोकप्रियता से बोली जानेवाली भाषा भोजपुरी ही है. एह देश-विदेश में फैली हुई ऐसी भाषा है जिसकी शब्दावली और शैली को राजनीति से लेकर फ़िल्मी दुनिया में भी बहुत ही उपयोग किया गया है. इसकी शब्द-ध्वनि में ही हास्य के पुट और उच्चारण में व्यंग्य के स्वर है. लगभग चालीस हजार के इस मिडिया समूह में डॉ. राय को भोजपुरी साहित्य में हास्य-व्यंग्य के स्वरुप पर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था.
उक्त कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय, वर्धा के शोद्यार्थी देवेंद्र कुमार तिवारी सहित दुबई के प्रवासी भारतीयों में नवीन द्विवेदी प्रमुख थे. प्रश्नो के उत्तर में डॉ राय ने भोजपुरी साहित्य में हास्य-व्यंग्य के इतिहास को उजागर किया और उसकी साहित्यिक प्रकृति का उल्लेख किया. आपने बताया कि इसका लोक साहित्य बहुत ही समृद्ध है. भोजपुरी साहित्य में हास्य-व्यंग्य लेखन का जो दौर स्वतंत्रता के समय से संचालित है, वह कभी बाधित नहीं हुआ है. कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास सहित महाकाव्यों की रचना भोजपुरी के रचनाकार बहुत पहले से ही सक्रिय हैं .
‘भोजपुरी : द सोल ऑफ़ मिलिअन्स” के एडमिन पैनल के सदस्य के रूप में भोजपुरी की संवैधानिक स्थिति पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में आपने कहा कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं सूचि में शामिल करने से ज्यादा जरुरी यह है कि उसे बिहार में राजभाषा का दर्जा मिले . आपने यह भी कहा कि बिहार के वर्तमान चुनाव में राजनीतिक पार्टियों को चाहिए कि वे इसे राजभाषा का दर्जा दिलाने के संकल्प को अपने मुख्य एजेंडे में शामिल करें.