एक खाली दिमाग शैतान का घर होता है – याद है यह मशहूर कहावत जो हमें स्कूल के दिनों में सुनने को मिलती थी। मेरे पिता की एक आदत थी, वे मुझे स्कूल के समय से ही बड़ी कहावते सुनाया करते थे। उस वक्त मुझे इन कहावतों के अर्थ शायद ही समझ आते थे …वह मेरे पिता की रूचि होगी, यह सोचकर मैं उन कहावतो को टाल देता था ! लेकिन अब मुझे एहसास होता है … वे जो बातें मुझे बताया करते थे, वे सारी बातें अक्सर मेरे मन को छू जाती हैं … उनके कितने गहरे तात्पर्य थे।
वर्तमान समय में जब पूर्ण लॉकडाउन चल रहा है, तो अधिकांश चीजें सामान्य रूप से काम नहीं कर रही हैं। यह बहुत जरूरी है कि हम अपने मन को खाली न रखें… ऐसा भी कहा जा सकता हैं कि आस पास कुछ करने को नहीं है … जबकि मेरे साथ उसका उल्टा हो रहा है क्योंकि इन अनपेक्षित दिनों की शुरूवात से सोशल मीडिया, रोज़ के समाचार और वीडियो देखने के बजाय मैं अपना समय कुछ सकारात्मक लेखन पढ़ने में लगा रहा हूँ। हालाँकि, दुनिया में क्या हो रहा है, इसके बारे में जागरूक होना ज़रूरी है, लेकिन उस हद तक नहीं की हम झूठी खबरों, नकारात्मक विचारों और आलोचनाओं को सुनने में समय गवां दें।
अक्सर जब हम नकारात्मकता की चपेट में होते हैं तो हममें से बहुत लोग करुणामय होना भूल जाते हैं, जो कि एक आवश्यक स्वभाव है जो हममें होना चाहिए … और ऐसे समय में विशेष रूप से होना चाहिए । मैं, सत्य, करुणा और सहनशीलता का पालन करता हूँ … जो फालुन दाफा के मूल सिद्धांत हैं। यह मन और शरीर के लिए एक प्राचीन साधना अभ्यास है । इस खाली समय ने वास्तव में मुझे ध्यान अभ्यास के पांच व्यायामों को नियमित रूप से करने में मदद की है … मैंने अभ्यास की अवधि बढ़ाने में कामयाबी हासिल की है जो मेरे मन को शांत और संयमित रहने में मदद करता है। इसके अलावा यह अभ्यास प्रतिरोधक शक्ति को मज़बूत बनाने में मदद करता है, इसलिए सहज ही मैं काफी ऊर्जावान और सक्रिय महसूस करता हूँ, भले ही मैं पूरे समय घर पर हूँ । इसके साथ ही, फालुन दाफा के संस्थापक श्री ली होंगज़ी की शिक्षाओं की पुस्तक ज़ुआन फालुन जो मैं नियमित पढ रहा हूँ मेरे लिए एक मजबूत मार्गदर्शक साबित हुई है। चूँकि लॉकडाउन होने पर मैं अपनी माँ के पास रह रहा हूँ, इसलिए मैं उन्हें अभ्यास भी सिखा सका हूँ , जो उनके लिए फायदेमंद रहा है।
एक रचनात्मक व्यक्ति और एक स्वयं-सीखा फोटोग्राफर होने के नाते, मुझे लगातार स्वयं को विकसित करने की आवश्यकता होती हैं। इसलिए, अपने ज्ञान को ऑनलाइन बढाने के लिए नियमित रूप से अलग-अलग समय निर्धारित करते हुए, अपने संपादन और रीटचिंग कौशल को और बेहतर बनाने का भी लगातार प्रयास करता हूँ। पिछले दिन मुझे घर पर अपनी पुरानी बांसुरी मिली …जिसमे मै कुछ धुनें बजाने की कोशिश कर रहा हूं जो मैंने सीखी थीं । संगीत एक ऐसी चीज है जिसका हमारे आंतरिक पक्ष से गहरा संबंध है और शांत और मधुर संगीत सुनना हमेशा मेरे दैनिक जीवन का हिस्सा रहा है ।
यह निश्चित रूप से अपनी अंतरात्मा से दोबारा जुड़ने का समय हैं। मैंने कुछ साल पहले कविताएं लिखना छोड़ दिया था और अब चार दीवारों के दायरे में रहने के बावजूद तक सकारात्मक बने रहना मेरे रचनात्मक पक्ष को पुनर्जीवित करने में मदद कर रहा है। । अब तक मैं कुछ कविताएँ लिखने में कामयाब रहा हूँ और कौन जाने, शायद इन सब के अंत तक मैं इतनी कवितायें जुटा लूं कि उन्हें प्रकाशित कर सकूं !
अंत में, मैं इस पूरे परिदृष्य से यह समझता हूँ की हमारे आसपास जो कुछ भी होता है उसके पीछे कुछ बड़े कारण हैं, हमें अपने विचारों और कार्यों के बारे में चिंतन करने का प्रयास करना चाहिए। यह क्षण हमें दिया गया है और हमारे पास यह विकल्प है कि हम अपने निष्क्रिय मन में बुराई को पलने दे या …
“हम गर्व से चलें करके सर ऊँचा, मीलों दूर मृगतृष्णा से आगे, उन सूखी झाड़ियों के कांटो के पार, तपते नीरस रेगिस्तान की झुलसाने वाली गर्मी में … जबकि, पड़ाव अधिक दूर नहीं है, जहाँ ताड़ वृक्ष और सुखमयी जल है भरपूर … आओ लौटें सब उस अनंत नखलिस्तान को।“
- अधिराज चक्रवर्ती