मध्य प्रदेश

कलेक्टर-एसपी से लेकर मंत्रालय और पीएचक्यू में पदस्थ अफसर जुटे नई सरकार में अपनी पैठ जमाने

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भोपाल

मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद अब सत्ता में अहम रोल में भागीदारी करने को लेकर लीडर्स और ब्यूरोक्रेट्स में धुकधुकी तेज हो गई है। ये सभी अपने पॉवर को बरकरार रखने और स्थिति मजबूत करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। विधायक मंत्री बनने के लिए प्रयास में लगे हुए हैं। ऐसी ही स्थिति प्रदेश के आईएएस और आईपीएस अफसरों की भी है। वे भी मलाईदार पोस्टिंग के लिए अपने प्रयास तेज कर रहे हैं।

प्रदेश में नई सरकार के गठन के साथ ही नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की धड़कने बढ़ गई है। पहले टिकट के चक्कर में भाजपा के नेता परेशान थे। टिकट मिलने और जीतने के बाद अब मंत्री बनने के प्रयास में दिल्ली-भोपाल एक कर रखा है। वहीं जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों से लेकर मंत्रालय में पदस्थ वरिष्ठ आईएएस और पुलिस मुख्यालय में पदस्थ वरिष्ठ आईपीएस अफसरों की भी धड़कने तेज हो गई कि उन्हें मलाईदार पोस्टिंग मिलेगी या नहीं मिलेगी।  मध्य प्रदेश में ऐसे कई ब्यूरोक्रेट्स हैं, जो पिछल कई समय से सत्ता के बहुत करीबी थे, इसके चलते उन्होंने लगातार अच्छी पोस्टिंग मिल रही थी। अब जब मुख्यमंत्री बदल गए हैं तो ऐसे सभी अफसरों की बेचैनी बढ़ गई है। ऐसे अफसर अब नए मुख्यमंत्री की टीम में अपनी अच्छी पोस्टिंग को लेकर सक्रिय होने के रास्ते खोज रहे हैं। इसमें इन्हें कितनी सफलता मिलेगी यह तो उनकी अगली पोस्टिंग देखकर पता चलेगा।

मंत्री बनने के लिए विधायक भी लगा रहे जोर
इधर नेताओं की भी धड़कने बढ़ी हुई है। विधायक दिल्ली से लेकर भोपाल तक अपने-अपने स्तर पर प्रयास में जुटे हुए हैं। संघ से लेकर संगठन को केंद्रीय नेताओं से मिलने जुलने का दौर विधायकों को इन दिनों तेज गति से चल रहा है। प्रदेश के लगभग 50 से ज्याद विधायक अपने आप को मंत्री पद का दावेदार मान कर चल रहे हैं। ऐसे में इनमें से अधिकांश विधायकों की धड़कनें इसे लेकर भी बढ़ी हुई हैं।

लूप लाइन में बैठे अफसरों को दिन फिरने की उम्मीद
लंबे अरसे से लूप लाइन में पदस्थ आईपीएस-आईएएस को अब अपने दिन फिरने की उम्मीद जागी है। प्रदेश में ऐसे कई अफसर हैं, जो पिछली सरकार में अपनी पैठ नहीं बना सके थे, नतीजे में वे अच्छी पोस्टिंग से दूर थे। अब वे भी अच्छी पोस्टिंग पाने के प्रयास में लग गए हैं।

एसीएस, पीएस से लेकर कलेक्टर्स में पोस्टिंग को लेकर बेचैनी
एक दर्जन कलेक्टर ऐसे हैं जो पिछली सरकार के करीबी थे, अब इस सरकार में उनकी ट्यूनिंग कैसी होगी, इसे लेकर ब्यूरोक्रेसी में जमकर चर्चा है। इन्हें जिलों से हटाया जाएगा या इन्हें फिलहाल पदस्थ रखा जाएगा इसे लेकर अफसरों की धड़कनें तेज हो चली है। ये सभी आईएएस अधिकारी नई सरकार में अपने कनेक्शन को तलाश रहे हैं। साथ ही अफसर नए हुक्मरानो को यह भी समझा रहे हैं कि वे पार्टी की विचारधारा से कितने प्रभावित है और किस हद तक जुड़े हुए हैं। ब्यूरोक्रेट सत्ता में बैठे नेताओं से पुराने संबंधों को ताजा कर रहे हैं, जहां उन्हें बेहतर पोस्टिंग मिल सकती है। उन्हें अपने संबंधों की दुहाई दे रहे हैं।

पुलिस अधीक्षकों से लेकर पीएचक्यू में बैठे अफसरों में भी होगा बदलाव
इधर आईएएस की ही तरह आईपीएस अफसरों को भी अपनी नई सरकार में ट्यूनिंग और पदस्थापना को लेकर चिंता बढ़ गई है। कई आईपीएस अफसर ऐसे हैं, जो पिछली सरकार के बहुत करीबी रहे हैं। इनमें से अधिकांश अफसर मलाईदार पदों पर पदस्थ रहे हैं। कई अफसर लंबे अरसे से एक जिले से दूसरे जिले में लगातार पुलिस कप्तानी करते आ रहे हैं, या पदोन्नत होकर रेंज में डीआईजी आदि के पद पर पदस्थ हैं। यही स्थिति रेंज में पदस्थ आईजी और एडीजी की भी है। कई अफसर लंबे अरसे से मैदानी पदस्थापना पाने में पिछली सरकार में सफल रहे हैं। नई सरकार में इन अफसरों को मैदानी पदस्थपना मिलेगी या नहीं इसे लेकर फिलहाल इन्हें भी संशय है।

ईओडब्ल्यू-लोकायुक्त में पदस्थ अफसरों को भी आ रहा पसीना
वहीं ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में पदस्थ पुलिस अफसरों की भी धड़कने बढ़ी हुई हैं। कई अफसर ऐसे हैं जो लंबे समय से ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त पुलिस में रहकर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का काम कर रहे हैं। यहां पर पदस्थ सभी अफसरों को पिछली सरकार का करीबी ही माना गया है। ऐसे में अब ये अफसर इसी जगह पर बने रहेंगे या इन्हें बदला जाएगा, इसे लेकर पुलिस मुख्यालय में खासी चर्चा है।

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