CG : दंतेश्वरी मंदिर परिसर डवलपमेंट के नाम पर करोड़ो का खेल… मैनुअल टेंडर, एक काम के 60 टुकड़े कर एक ही ठेकेदार को दिया गया काम
दंतेवाड़ा। मां दंतेश्वरी की नगरी में रिवर फ्रंट डवलपमेंट और टेंपल कॉरीडोर निर्माण का काम फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ चुका है। यहां मंदिर प्रांगण में करीब दस अलग-अलग कार्य कराये जा रहे हैं, इसका मकसद मंदिर प्रांगण को खूबसूरत व अलग पहचान दिलाना है। लेकिन इस कार्य में जमकर गड़बड़ियां की जा रही हैं।
टेंडर प्रक्रिया, नॉन एसओआर आइटम के रेट, कार्य का भुगतान आदि में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां की गईं। 43 करोड़ की लागत से जिन कार्यों को कराया जा रहा है, उनमें कॉरीडोर निर्माण, रिटेनिंग वाल, प्रवेश द्वार, बाउंड्री वाल, ज्योति कलश भवन, शापिंग कांप्लेक्स, कियॉस्क, ट्रेस, देवडेरा, त्रिदेव स्थानम और घाट डेवलपमेंट आदि शामिल हैं। इन सभी कार्यों की लागत 43 करोड़ है। काम कृष्णा इंटरप्राईजेस रायपुर द्वारा कराये जा रहे हैं। इन कार्यों को कृष्णा इंटरप्राईजेस को देने आरईएस विभाग ने जमकर मेहरबानी दिखाई। तकनीकी जानकारों की मानें तो ये सारे कार्य 15 करोड़ रुपये में ही कराये जा सकते थे। इन सारे अधूरे कार्यों का लोकार्पण वर्चुअली तात्कालीन सीएम ने आचार संहिता से ठीक पहले किया है।
महाकाल कॉरीडोर की तर्ज पर होना था निर्माण… लेकिन
मंदिर परिसर में कॉरीडोर निर्माण कराया जा रहा है, जिसकी लागत सात करोड़ रुपये है। उज्जैन महाकाल कॉरीडोर की तर्ज पर ही यह निर्माण किया जाना है। इसकी लंबाई 113 मीटर है। इस कार्य में जमकर अनियमितता बरती जा रही है। जिन पत्थरों का इस्तेमाल उज्जैन में किया गया वही पत्थर यहां भी लगाये जाने थे, लेकिन ठेकेदार ने धौलपुर राजस्थान के बजाय अन्य खदान से घटिया दर्जे का पत्थर लाकर यहां लगा दिया। ट्रेस के डिजाईन को बदलकर अब सीट लगाई जा रही है, जिससे कि ठेकेदार मुनाफा कमा सके।
रिटेनिंग वाल निर्माण के लिए गोपनीय तरीके से निकाली गई निविदा
इतना ही हेंड कार्विंग के बजाय मशीन से खुदाई वाले पत्थरों का इस्तेमाल कॉरीडोर में किया जा रहा है। इस कार्य की लागत 7 करोड़़ रुपये है। जिन पत्थरों का इस्तेमाल कॉरीडोर में किया जा रहा है उनकी मोटाई भी काफी कम है। मंदिर के समक्ष ही रिटेनिंग वाल का निर्माण कराया जा रहा है। इस कार्य को आरईएस ने कृष्णा इंटरप्राईजेस को देने वाल के 46 टुकड़े कर दिये। 600 मीटर लंबी रिटेनिंग वाल का विज्ञापन गोपनीय तरीके से लगाकर कृष्णा इंटरप्राइजेस को ही इसका भी वर्क आर्डर दे दिया। सभी पार्ट की निविदा एक साथ लगायी गयी, एक ही साथ वर्क आर्डर भी जारी किया गया। दो रिटेनिंग वाल की लागत 19 करोड़ 54 लाख रूपये है। इस कार्य में 20 एमएम से मोटा सरिया कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया। जबकि अफसरों का दावा 32 एमएम सरिया लगाने का किया जा रहा है।
ज्योति कलश भवन की लागत एक करोड़ से आठ करोड़ पहुंच गई
इधर हाल ही में कृष्णा इंटरप्राईजेस द्वारा ही ज्योति कलश भवन का निर्माण कराया गया है। इस कार्य की लागत पूर्व कलेक्टर के समय एक करोड़ थी जो बाद में साढे तीन करोड़ और फिर अंततः आठ करोड़ की गयी। तात्कालीन सीएम ने जब इस काम की पहली ईंट रखी तक ये एक करोड़ की थी। जिस पत्थर का पीडब्ल्यू एसओआर में रेट दो हजार रूपये है। फर्म को लाभ पहुंचाने आरईएस द्वारा उसका भुगतान साढे़ सात हजार रूपये स्क्वायर मीटर के दर से किया गया है।
कई भागों में की गई स्वीकृति
इसके साथ ही बाउंड्री वाल का निर्माण भी इसी फर्म द्वारा कराया जा रहा है। इसकी लागत दो करोड़ 25 लाख रूपये है। ये कार्य भी टुकड़े में कराये जा रहे हैं। इसके साथ ही घाट डेवलपमेंट व अन्य आवश्कताओं का विस्तार के नाम पर पांच करोड़ साठ लाख रूपये खर्च किये जा रहे हैं। इसकी स्वीकृति भी आठ से दस भागों में की गयी है। नदी के दोनों छोर पर सीढियां बनाई जानी है। सीढियों के पास प्रवेश द्वार और पगोड़ा बनाया जाना है। इसके साथ ही एक टन का घंटा भी लगाया जाना है।
टेंडर में किया गया बड़ा खेल
चहेते फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए समस्त कार्यों का टेंडर मैनुअल पद्धति से कराया गया, जबकि यहां आनलाईन टेंडर लगाये जाने थे। भंडार क्रय नियम अनुसार बीस लाख से अधिक राशि के कार्यों का टेंडर दो प्रदेश स्तरीय और दो राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में प्रकाशित कराया जाना होता है। रिटेंनिग वाल के 46 टुकडे कर दिये। इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि ईई को 50 लाख के अंदर ही ऐसे कार्य की तकनीकी स्वीकृति का अधिकार है। इससे ज्यादा राशि के टीएस के लिये उच्चाधिकारियों का सहारा लेना पड़ता, लेकिन उच्चाधिकारियों को भनक न लगे और फर्म को सीधा लाभ पहुंचाने ऐसा किया गया। पूरे परिसर में जारी दस कार्यों के 60 टुकड़े कर दिये। वजह सिर्फ लाभ पहुंचाना है। इन कार्यों का टेंडर कब, कहां और किस अखबार में प्रकाशित किया गया, इसकी जानकारी देने से विभाग बचता रहा। हालांकि प्रभारी ईई ने निविदा प्रकाशित कराने की बात जरूर कही।
30 प्रतिशत काम, 90 प्रतिशत भुगतान
ठेका फर्म पर मेहरबानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, सभी कार्यों के लिये जब ठेकेदार ने एक ईंट भी नहीं रखी थी, चालीस प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान कर दिया गया। इतना ही नहीं रिटेनिंग वाल का कार्य जो वर्तमान में 30 प्रतिशत हो पाया है, उसकी 90 प्रतिशत राशि का भुगतान कर दिया गया है। इस बात की पुष्टि प्रभारी ईई श्री ठाकुर ने की है। तकनीकी जानकारों की माने तो जितना कार्य धरातल पर दिख रहा है उसका मूल्यांकन तीन करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो सकता। लेकिन अब तक इस कार्य का भुगतान नौ करोड़ से ज्यादा का हो चुका है।
फाइल देखकर बताउंगा – प्रभारी ईई
इन कार्यो के संबंध में जब श्री ठाकुर से सवाल किया गया तो उन्होने हर सवाल का जबाव फाइल देखकर देने की बात कही। उन्होने यह जरूर बताया कि, लगभग 42 करोड के कार्य मंदिर के आसपास कराये जा रहे हैं। सारे कार्य एक ही फर्म कृष्णा इंटरप्राईजेस के जरिए कराये जा रहे हैं।